बच्चों के बयानों को तूल न दिया जाए: मौलाना शहाबुद्दीन
कर्नाटक के विज्ञान प्रदर्शनी विवाद पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात का बयान
बरेली। कर्नाटक में विज्ञान प्रदर्शनी के दौरान एक छात्रा द्वारा प्रस्तुत मॉडल को लेकर उठे विवाद पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को दीन-दुनिया की सही समझ नहीं होती, इसलिए उनके बयानों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।
"हिजाब और बुर्का इस्लामिक पहनावा, मगर जबरदस्ती नहीं"
मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि इस्लाम में हिजाब और बुर्का मुस्लिम महिलाओं का पारंपरिक और मजहबी लिबास है, जिसे पहनना उनकी आस्था का हिस्सा है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो महिलाएं हिजाब या बुर्का नहीं पहनतीं, उन्हें इस्लाम में किसी तरह की सजा का प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा, "भारत में दो तरह की विचारधाराएँ हैं – एक सूफी विचारधारा और दूसरी कट्टरपंथी विचारधारा। हिजाब को लेकर पहले भी विवाद हुआ था, लेकिन किसी भी मजहबी मुद्दे को बेवजह विवादित नहीं बनाना चाहिए।"
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में कर्नाटक के एक निजी स्कूल की विज्ञान प्रदर्शनी में एक छात्रा ने एक मॉडल पेश किया, जिसमें बुर्का पहनने वाली महिला की कब्र को 'जन्नत' और बिना बुर्के वाली महिला की कब्र को 'सांप-बिच्छुओं' से भरा दिखाया गया। इस मॉडल को लेकर विवाद खड़ा हो गया, जिसे लेकर कई सामाजिक संगठनों और लोगों ने नाराजगी जताई।
मौलाना शहाबुद्दीन ने इस पर कहा कि बच्चों के ऐसे कृत्यों को जरूरत से ज्यादा तूल देना सही नहीं है। उन्होंने अपील की कि इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने के बजाय इसे केवल एक बच्चे की अपरिपक्व सोच तक सीमित रखा जाए।
सोशल मीडिया पर मचा बवाल
छात्रा के इस मॉडल की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। कई संगठनों ने इसकी आलोचना की है और इसे सामाजिक विभाजन फैलाने वाला कदम बताया है। वहीं, कुछ धार्मिक संगठनों ने छात्रा के समर्थन में भी बयान जारी किए हैं।
सरकार से अपील
मौलाना शहाबुद्दीन ने प्रशासन और सरकार से अपील की कि ऐसे संवेदनशील मामलों को बिना किसी राजनीतिक या धार्मिक एंगल के निष्पक्ष रूप से देखा जाए और समाज में सौहार्द बनाए रखा जाए।
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