107वां उर्स-ए-रजवी: डीजे और गैर-शरई गतिविधियों पर सख्त पाबंदी, दरगाह की गली में भी नहीं मिलेगी एंट्री
बरेली। इस साल मनाया जाने वाला 107वां उर्स-ए-रजवी पूरी तरह से शरीयत के दायरे में होगा। 18, 19 और 20 अगस्त को आयोजित होने वाले इस सालाना उर्स को लेकर जामिया ताजुश्शरीया में रविवार को अहम बैठक हुई। इसमें साफ तौर पर निर्देश दिए गए कि चादर या फूलों के जुलूस के दौरान डीजे बजाने वालों को दरगाह की गली में भी दाखिल नहीं होने दिया जाएगा।
बैठक की सरपरस्ती तौसीफ मियां ने की, जबकि अध्यक्षता फैज मियां ने। उन्होंने कहा कि आला हज़रत का उर्स पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है, जिसे पूरी संजीदगी और शरीयत के मुताबिक मनाया जाना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से देखने में आया है कि कुछ लोग डीजे बजाते हुए चादर लेकर आते हैं, जो इस पाक मौके की पवित्रता को ठेस पहुँचाता है।
तौसीफ मियां ने सख्त संदेश देते हुए कहा कि उर्स कोई आम मजमा नहीं बल्कि एक मुजद्दिद का सालाना उर्स है। डीजे की आवाज़ से बीमार और बुजुर्गों को परेशानी होती है। इस्लाम का पैगाम अमन, सादगी और अखलाक है। ऐसे में जुलूस में शरीक लोग दरूद शरीफ और नाते पाक पढ़ते हुए शामिल हों।
उन्होंने स्पष्ट किया कि गैर-शरई तरीके से लाया गया कोई भी जुलूस दरगाह की गली में दाखिल नहीं हो पाएगा। इसके साथ ही उन्होंने जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी के जुलूसों में भी डीजे, गाने-बाजे से परहेज करने की अपील की और कहा कि जितना पैसा डीजे पर खर्च होता है, उससे बेहतर है कि गरीबों की मदद और बेटियों की शादियों में लगाया जाए।
फैज मियां ने उर्स की व्यापक तैयारियों का आह्वान करते हुए कहा कि इस बार पैगंबर-ए-इस्लाम के अमन और रहमत भरे पैगाम को हिंदी, उर्दू और अंग्रेज़ी में छपवाकर लोगों में हैंडबिलों के रूप में वितरित किया जाए।
बैठक में सैयद आमिर मियां ने बताया कि उर्स के दौरान ज़ायरीन को किसी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए सभी रजाकार अभी से जिम्मेदारियां तय करें। उन्होंने कहा कि हर साल की तरह इस बार भी उर्स में लाखों जायरीन के आने की संभावना है, लिहाज़ा प्रशासन और इंतेज़ामिया को मिलकर पूरी व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।
बैठक में मीडिया प्रभारी जिया-उर-रहमान, मौलाना सरताज, मुफ्ती शायान, शाहिद रज़ा, सय्यद शहरोज, मुफ्ती नवाज़िश, मौलाना इरशाद, सद्दाम, इमरान, पम्मी खां वारसी समेत अन्य जिम्मेदार लोग शामिल रहे।
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