चार साल पहले कुत्ते के काटने का दिखा असर, किशोरी की हालत नाजुक
संभल। बहजोई थाना क्षेत्र के गांव मैथ्या अलीपुर में एक 15 वर्षीय किशोरी की अचानक बिगड़ी हालत से परिजन सकते में आ गए। वंशिका नाम की इस किशोरी को बुखार, बेचैनी और गले में खराश की शिकायत के बाद बिनावर सीएचसी ले जाया गया, जहां से उसे गंभीर स्थिति में बरेली रेफर कर दिया गया।
चार साल पुराना कुत्ते का काटना बना कारण
परिजनों ने बताया कि वर्ष 2021 में घर के ही पालतू कुत्ते ने वंशिका को काट लिया था, लेकिन उस समय चोट मामूली लगी थी। इलाज के नाम पर सिर्फ मलहम-पट्टी की गई और बात वहीं खत्म मान ली गई। अब, करीब चार साल बाद, किशोरी की तबीयत तेजी से बिगड़ने पर उस पुराने ज़ख्म की गंभीरता सामने आई।
डॉक्टरों को रेबीज़ का संदेह
बरेली में किशोरी का इलाज कर रहे डॉक्टरों को संदेह है कि यह मामला रेबीज़ (Hydrophobia) से जुड़ा हो सकता है। किशोरी में दिख रहे लक्षण —
बेचैनी
पानी पीने या निगलने में परेशानी
मानसिक भ्रम —
ये सभी रेबीज़ संक्रमण के सामान्य संकेत हैं। हालांकि अभी पुष्टि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही हो सकेगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, रेबीज़ वायरस लंबे समय तक निष्क्रिय रह सकता है, और सालों बाद भी सक्रिय होकर जानलेवा स्थिति बना सकता है।
क्या होता है रेबीज़ संक्रमण?
रेबीज़ एक घातक वायरल रोग है जो आमतौर पर संक्रमित
कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि के काटने या खरोंचने से इंसानों में फैलता है।
यह वायरस मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
समय पर टीकाकरण न होने की स्थिति में यह बीमारी लगभग हमेशा जानलेवा होती है।
एहतियात ज़रूरी: काटते ही वैक्सीन लें
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कुत्ते या किसी जानवर के काटने पर तुरंत
घाव को साबुन और पानी से साफ करें
एंटी रेबीज़ वैक्सीन (ARV) और
इम्यूनोग्लोबुलिन (RIG) लगवाना अनिवार्य है।
थोड़ी सी लापरवाही भी जान जोखिम में डाल सकती है।
स्वास्थ्य विभाग की अपील
स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि—
पालतू हो या आवारा, किसी भी जानवर के काटने को हल्के में न लें।
पालतू जानवरों को भी समय-समय पर रेबीज़ का टीका जरूर लगवाएं।
लक्षण दिखने के बाद इलाज मुश्किल हो सकता है, इसलिए बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है।
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