क्योलड़िया में समाजवादी पीडीए पंचायत, जिलाध्यक्ष बोले- अब यह केवल नारा नहीं, जनआंदोलन बन गया
जागेश्वर न्यूज़ नेटवर्क
बरेली। समाजवादी पार्टी द्वारा नवाबगंज विधानसभा के क्योलड़िया में आयोजित पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) पंचायत में सामाजिक न्याय और मौजूदा सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर आवाज़ उठी। पंचायत में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष शिवचरण कश्यप ने कहा कि पीडीए अब केवल नारा नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन का रूप ले चुका है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार की नीतियों में पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों की अनदेखी साफ दिखाई देती है। शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में भेदभाव बढ़ रहा है, और समाजवादी कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर सामाजिक न्याय की अलख जगा रहे हैं।
पूर्व कैबिनेट मंत्री भगवत शरण गंगवार ने कहा कि आम जनमानस का बजट हर महीने बिगड़ता जा रहा है। रसोई गैस, खाद्य सामग्री, बिजली और दवाओं के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। मजदूर से लेकर मध्यम वर्ग तक महंगाई की मार झेल रहा है, जबकि सरकार केवल आंकड़ों की बाज़ीगरी में व्यस्त है। अब थाली में सब्जी कम और चिंता ज़्यादा है।
जिला उपाध्यक्ष रविंद्र यादव ने कहा कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करती है लेकिन ज़मीन पर इसके उलट तस्वीर दिखाई देती है। चहेते लोगों पर सरकार मेहरबान है, जबकि ईमानदार कर्मचारियों और आम जनता पर शिकंजा कसा जा रहा है। विपक्ष की आवाज़ को दबाया जा रहा है, और घोटाले लगातार दबाए जा रहे हैं।
अंबेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोनकर अंबेडकर ने कहा कि बाबा साहब का संविधान सत्ता के गलियारों में उपेक्षित किया जा रहा है। समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे मूल्यों को नजरअंदाज कर दलितों और वंचितों के अधिकारों का दमन किया जा रहा है। मनुवादी सोच से संविधान को खतरा है। यह वक्त बाबा साहब की विरासत को बचाने का है।
पंचायत की अध्यक्षता विधानसभा अध्यक्ष अनिल गंगवार ने की जबकि संचालन नरोत्तम ‘मुन्ना’ ने किया। इस अवसर पर पुरुषोत्तम गंगवार, डॉ. मुक्ति प्रसाद, शेर सिंह गंगवार, अनिल पटेल, मोहित भारतद्वाज, संजीव कश्यप, सम्राट अनुज मौर्य, राम सेवक प्रजापति, मनोहर गंगवार, राम सिंह कश्यप समेत सैकड़ों की संख्या में समाजवादी कार्यकर्ता मौजूद रहे।
समाजवादी पार्टी पीडीए को सामाजिक न्याय की पुनर्स्थापना का सूत्र मान रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह पहल जातीय जनगणना, शिक्षा, रोजगार और सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर समाज में जागरूकता पैदा करने का माध्यम बनेगी।
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