राशन घोटाला: बरेली के शहरी इलाकों में 65 से 90 नामों पर बांटा गया एक ही कार्ड से राशन
बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 2015 से 2018 के बीच एक बड़े खाद्यान्न घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें गरीबों के नाम पर राशन वितरण में फर्जीवाड़ा किया गया। हाल ही में सीआईडी द्वारा की गई जांच में यह बात सामने आई है कि शहरी क्षेत्रों में एक ही राशन कार्ड या आधार नंबर से 65 से 90 लोगों के नाम पर राशन वितरित दिखाया गया, जबकि हकीकत में यह राशन ब्लैक में बेचा गया।
शहर के कई क्षेत्रों में हुए गड़बड़झाले
सबसे ज्यादा गड़बड़ियां सीबीगंज, कोतवाली, बारादरी और प्रेमनगर क्षेत्रों में सामने आई हैं। इस दौरान प्वाइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों में आधार कार्ड की फीडिंग के दौरान कंप्यूटर ऑपरेटरों और पूर्ति विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से योजनाबद्ध ढंग से राशन का बंदरबांट किया गया।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा
2015 के बाद राशन वितरण के लिए POS मशीनें लागू की गईं। इन मशीनों में लाभार्थियों का आधार नंबर फीड कर राशन देने की व्यवस्था की गई थी। इसी सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए एक ही आधार नंबर पर दर्जनों नाम जोड़ दिए गए, और कागजों में राशन वितरित दिखाकर उसे बाजार में बेच दिया गया।
जांच और कार्रवाई
• प्रारंभ में मामले की जांच जिला स्तर पर की गई थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
• 2024 में CID को जांच सौंपी गई, जिसके बाद 26 शिकायतों की समीक्षा कर 9 कोटेदारों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
• जांच में सामने आया कि यह घोटाला तत्कालीन पूर्ति अधिकारी केएल तिवारी और सीमा त्रिपाठी के कार्यकाल के दौरान हुआ था।
• सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों, ऑपरेटरों और कोटेदारों की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव नहीं था।
वर्तमान में पूर्ति विभाग के अधिकारी इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि घोटाले के दौरान वे बरेली में तैनात नहीं थे।
बरेली में हुआ यह राशन घोटाला न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही का परिचायक है, बल्कि यह गरीबों के हक पर डाका है। अब जब सीआईडी की रिपोर्ट सामने आ चुकी है, देखने वाली बात होगी कि क्या दोषियों को सज़ा मिलती है या यह मामला भी बाकी घोटालों की तरह फाइलों में ही दबा रह जाएगा।
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