News Breaking
Live
wb_sunny

Breaking News

छह साल तक सुहागिनों को मिलती रही विधवा पेंशन, जिम्मेदार बेखबर; अब 61 महिलाओं से वसूली शुरू

छह साल तक सुहागिनों को मिलती रही विधवा पेंशन, जिम्मेदार बेखबर; अब 61 महिलाओं से वसूली शुरू


बरेली। जिले में विधवा पेंशन योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा
सामने आया है। 61 सुहागिन महिलाएं पिछले छह वर्षों से विधवा पेंशन योजना का लाभ लेती रहीं, और जिम्मेदार अफसर सोते रहे। मामला सामने आने के बाद विभाग ने इन महिलाओं से 23.86 लाख रुपये की वसूली प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक 26 महिलाओं से वसूली पूरी हो चुकी है, जबकि बाकी को नोटिस जारी कर दिए गए हैं।

अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि कई मामलों में एक ही परिवार की महिलाएं, जिनके पति जीवित हैं, पेंशन लेती रही हैं। आंवला तहसील के भीमपुर गांव की परवीन और सुनीता जेठानी-देवरानी हैं और दोनों के पति जिंदा हैं। फिर भी, वे छह साल से पेंशन का लाभ ले रही थीं। दोनों को 69-69 हजार रुपये की रिकवरी सर्टिफिकेट (RC) जारी की गई है।


परवीन ने बताया कि कुछ दलालों ने उनसे तीन हजार रुपये और दस्तावेज लेकर पेंशन फॉर्म भरवाया था। जब पहली किस्त खाते में आई, तो वह रकम भी दलालों ने ले ली थी। अब जब उन्हें वसूली का नोटिस मिला है, तो वे मानसिक और आर्थिक रूप से बेहद परेशान हैं। उनके पति मजदूरी करते हैं और इतनी बड़ी राशि चुकाना उनके लिए संभव नहीं है।


गांव के प्रधान श्रीपाल सिंह ने जानकारी दी कि परवीन और सुनीता की पेंशन किसी अन्य ब्लॉक से बनाई गई थी, और स्थानीय ब्लॉक की सूची में उनका नाम तक नहीं है। इससे यह साफ है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में बिचौलियों और विभागीय लापरवाही की बड़ी भूमिका रही है।


फिलहाल जिले में करीब 97,000 लाभार्थी विधवा पेंशन योजना के तहत पंजीकृत हैं। आशंका जताई जा रही है कि ऐसे और भी सैकड़ों अपात्र लाभार्थी होंगे, जो सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह वसूली तो सिर्फ एक बानगी है, असल में योजना में कई करोड़ रुपये अपात्रों को जारी किए जा चुके हैं।


इस मामले पर जब जिला प्रोबेशन अधिकारी मोनिका राणा से पूछा गया, तो उन्होंने हाल ही में निदेशालय से मिली फटकार का हवाला देकर जानकारी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने बस इतना कहा कि 46 अपात्र महिलाओं को आरसी जारी की गई है।

प्रशासनिक चूक या मिलीभगत?


हर साल पेंशन योजनाओं का सत्यापन किया जाता है। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में अपात्रों को पेंशन कैसे मिलती रही, यह प्रशासनिक जवाबदेही पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह भी सामने आया है कि कई अपात्र महिलाएं विभिन्न ब्लॉकों से पेंशन स्वीकृत करवाकर नियमों को चकमा देती रहीं।


मांग उठी: जवाबदेही तय हो, दलालों पर सख्त कार्रवाई हो


सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि न केवल अपात्र लाभार्थियों से पेंशन की वसूली की जाए, बल्कि इस पूरे नेटवर्क में शामिल दलालों, सहयोगी कर्मियों और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही, पेंशन प्रणाली को और अधिक डिजिटल, पारदर्शी और ब्लॉक स्तर पर सत्यापित करने की व्यवस्था की जाए।

Tags

Newsletter Signup

Sed ut perspiciatis unde omnis iste natus error sit voluptatem accusantium doloremque.

एक टिप्पणी भेजें