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UPSRTC: सालों से चहेती फर्मों को ठेके, दोषी फर्में आज भी काम में लगीं, बिना कार्यादेश काम जारी

UPSRTC: सालों से चहेती फर्मों को ठेके, दोषी फर्में आज भी काम में लगीं, बिना कार्यादेश काम जारी

 


रुहेलखंड और बरेली डिपो में फर्जी बिल घोटाला उजागर, हेराफेरी अभी भी जारी 

बरेली। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बरेली और रुहेलखंड डिपो में करोड़ों रुपये के फर्जी बिल घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। फर्जी बिलों के माध्यम से सरकार को भारी आर्थिक चपत पहुंचाई गई, जबकि चहेती फर्मों को वर्षों से मनमाने तरीके से ठेके दिए जा रहे थे। घोटाले के सामने आने के बाद प्रबंध निदेशक ने सेवा प्रबंधक पर कोई कार्रवाई नहीं की है। मामले में लीपापोती को केवल चार्जशीट लगा कर रफा दफ़ा किया गया है। प्रदेश के नागरिकों और जनप्रतिनिधियों की मांग है कि इस घोटाले की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए और दोषियों को जेल भेजा जाए। साथ ही, ई-टेंडरिंग और पारदर्शिता के लिए कड़े नियम लागू किए जाएं।

सूत्रों के अनुसार, बीते कई वर्षों से डिपो में कुछ चुनिंदा फर्मों को मरम्मत, पार्ट्स सप्लाई और अन्य सेवाओं के नाम पर बार-बार ठेके दिए जा रहे थे। जांच में सामने आया कि बड़ी संख्या में बिल या तो बिना किसी कार्य के बनाए गए या कार्य की लागत कई गुना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत की गई।

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन फर्मों को फर्जी बिलों के लिए दोषी पाया गया और जिनका कार्यादेश पहले ही निरस्त कर दिया गया था, वही फर्में आज भी डिपो में कार्य कर रही हैं, वह भी बिना किसी वैध आदेश के।

आरोप है कि निगम के अधिकारियों द्वारा टेंडर प्रक्रिया को इस प्रकार संचालित किया गया कि अन्य योग्य फर्मों को आवेदन का अवसर ही नहीं मिला। केवल उन्हीं फर्मों को लगातार ठेका मिलता रहा जो पहले से चयनित और ‘विशेष संबंध’ रखने वाली मानी जा रही थीं।

सेवा प्रबंधक पर नहीं हुई कार्रवाई, उच्चस्तरीय जांच की मांग 

परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा इस गंभीर लापरवाही के चलते सेवा प्रबंधक पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि यह कार्रवाई केवल ‘निचले स्तर’ तक सीमित है और पूरे घोटाले की निष्पक्ष जांच आवश्यक है।

फर्जीवाड़े के बाद भी रुहेलखंड व बरेली डिपो में भसीन इंटरप्राइज़ेज़ का कब्ज़ा!

राज्य परिवहन निगम के बरेली और रुहेलखंड डिपो में फर्जी बिल घोटाले को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। बीते दिनों जांच में दोषी पाई गई भसीन इंटरप्राइज़ेज़ का कार्यादेश निरस्त कर दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद वही फर्म आज भी दोनों डिपो में कार्यरत है।

जांच रिपोर्ट में फर्जी बिलिंग, अनियमित भुगतान और भ्रष्टाचार के प्रमाण मिलने के बाद निगम द्वारा भसीन इंटरप्राइज़ेज़ समेत दोनों फर्मों के कार्यादेश निरस्त कर दिए गए थे। लेकिन इसके बाद कई महीनों तक टेंडर प्रक्रिया ही रोक दी गई, जिससे नया कार्यादेश किसी दूसरी फर्म को नहीं दिया जा सका। इस शून्य का फायदा उठाकर विभाग ने उसी दोषी फर्म को फिर से काम पर लगा दिया।

सूत्रों का दावा: फर्जी बिलिंग फिर से शुरू

विभागीय सूत्रों के अनुसार, भसीन इंटरप्राइज़ेज़ द्वारा एक बार फिर से फर्जी बिल तैयार किए जा रहे हैं और बिना कार्य के भुगतान लिया जा रहा है। कई मामलों में कार्य की मात्रा और गुणवत्ता की न तो जांच हो रही है और न ही कोई लेखा परीक्षण। इस पूरे खेल में लाखों-करोड़ों रुपये के सरकारी धन की बंदरबांट का गंभीर आरोप है।

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