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झोपड़ी में आग से मासूम की मौत: जिंदा जलती बच्ची की चीखों से कांपा गांव, मां की ममता लपटों में हार गई

झोपड़ी में आग से मासूम की मौत: जिंदा जलती बच्ची की चीखों से कांपा गांव, मां की ममता लपटों में हार गई

 


बरेली। 
बुधवार का दिन बहेड़ी क्षेत्र के उतरसिया महोलिया गांव के लिए किसी काले साए की तरह आया। दोपहर करीब एक बजे दिलशाद की झोपड़ी में लगी आग ने सब कुछ लील लिया—घर, सामान, गेहूं की फसल और उससे भी बड़ी अनमोल चीज, उसकी मासूम चार साल की बेटी अलिस्मा। उस बच्ची की चीखें, जो आग की लपटों में घिरी थीं, आज भी गांववालों के कानों में गूंज रही हैं।

खाना बना रही थी मां, बेटी सोई थी झोपड़ी में
दिलशाद की पत्नी रोज की तरह दोपहर का खाना बना रही थी। उसी दौरान चार साल की अलिस्मा झोपड़ी के भीतर अकेली सो रही थी। एक चिंगारी कहां से निकली, किसी को पता नहीं चला, लेकिन पलभर में झोपड़ी धू-धू कर जलने लगी। मां ने जान बचाई, लेकिन जब तक वह अलिस्मा को निकालने दौड़ी, लपटें उसे निगल चुकी थीं। उस मां की चीखें सुनकर पूरा गांव थम गया।

दोनों झोपड़ियां और गेहूं की फसल राख, गांव में पसरा मातम
आग इतनी तेज थी कि बगल की दूसरी झोपड़ी भी चपेट में आ गई। पास ही की खड़ी गेहूं की फसल भी जलकर राख हो गई। आग बुझाने के लिए ग्रामीणों ने जो भी बन पड़ा किया, बाल्टियां उठाईं, पानी के पाइप खींचे, लेकिन जब तक दमकल की गाड़ी आई, बहुत देर हो चुकी थी।

बच्ची का जला हुआ शव देख फूट-फूटकर रो पड़ा पिता
जब आग बुझी, तो झोपड़ी के बीचों-बीच से अलिस्मा का जला हुआ शव मिला। दिलशाद फफक-फफक कर रो पड़ा—"एक बार बेटी को देख लेता, वो मुझे पुकारती रही होगी..." इस वाक्य ने हर आंख को नम कर दिया।

प्रशासनिक अमला मौके पर, मदद का भरोसा
घटना की सूचना पर एसडीएम रत्निका श्रीवास्तव, तहसीलदार भानु प्रताप और राजस्व टीम गांव पहुंची। एसडीएम ने पीड़ित परिवार को हरसंभव सहायता देने का भरोसा दिलाया। नुकसान का आकलन किया जा रहा है और राहत कार्य शुरू कर दिए गए हैं।

पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा, आग के कारणों की जांच शुरू
पुलिस ने बच्ची के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बरेली भेजा है। आग किन कारणों से लगी, इसकी जांच शुरू कर दी गई है। फिलहाल गांव में मातम पसरा है और हर दिल अलिस्म

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