कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा: संदिग्ध मौत पर हत्या की धाराओं में केस, पुलिस पर लापरवाही का आरोप
बरेली। बहेड़ी थाना क्षेत्र के ग्राम सुकटिया याकूबगंज में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई शरीफ अहमद की मौत के मामले में आखिरकार कोर्ट के आदेश के बाद थाना बहेड़ी पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा। पीड़िता मुन्नी, जो मृतक की पत्नी है, ने हत्या की आशंका जताते हुए थाने से लेकर एसएसपी कार्यालय तक न्याय की गुहार लगाई थी, लेकिन पुलिस ने लगातार अनसुनी कर दी।
पीड़िता के अनुसार, 23 मार्च 2024 को उसकी बेटी ने गांव के नसीम और मुस्तकीम के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके बाद से आरोपितों की उनके परिवार से रंजिश बढ़ गई। 26 मार्च की रात करीब 9:30 बजे, नन्हे उर्फ बाबू, मो. उमर उर्फ कलुआ, रहीस अहमद और राजू ने घर में घुसकर मुन्नी और उसकी बेटी आरफा से मारपीट की।
पीड़िता का आरोप है कि ग्राम प्रधान अरशद मलिक ने साजिश के तहत लईक अहमद और तौसीफ को भेजकर शरीफ अहमद को चौकी बुलवाया। शरीफ घर से गया लेकिन फिर लौटकर नहीं आया।
पोस्टमार्टम हाउस में मिला शव, पुलिस कॉल से हुआ खुलासा
3 अप्रैल 2024 को दोपहर 1:03 बजे मृतक के फोन से पुलिस ने रफीक अहमद (मृतक का भतीजा) को कॉल कर जानकारी दी कि फोन शरीफ अहमद का है और उसकी लाश पोस्टमार्टम हाउस में पड़ी है।
पुलिस पर मिलीभगत और लापरवाही का आरोप
मुन्नी का कहना है कि ग्राम प्रधान की राजनीतिक पकड़ के चलते पुलिस ने जानबूझकर एफआईआर दर्ज नहीं की। वह लगातार एसएसपी कार्यालय के चक्कर काटती रही, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई।
कोर्ट की सख्ती के बाद शुरू हुई कार्रवाई
आखिरकार, महिला ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) बरेली के आदेश पर थाना बहेड़ी में एफआईआर दर्ज की गई और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
न्याय की आस में पीड़िता
मुन्नी अब कोर्ट से उम्मीद लगाए बैठी है कि उसके पति की मौत की सच्चाई सामने आएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
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