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Badaun: सरकारी सेवा नियमावली की अनदेखी, जेई ने किए दो निकाह, कार्यवाही की जगह अधिकारियों का संरक्षण

Badaun: सरकारी सेवा नियमावली की अनदेखी, जेई ने किए दो निकाह, कार्यवाही की जगह अधिकारियों का संरक्षण


 

बदायूं/बरेली। बरेली जिले की गार्डन सिटी कॉलोनी में रहने वाले लोक निर्माण विभाग के एक जेई ने सरकारी सेवा नियमावली की अनदेखी कर दो निकाह किये हैं। हाल में जेई की तैनाती बदायूं जिले में है। तमाम शिकायतों के बाद भी अधिकारियों ने उस पर कार्रवाई की वजह, मामले में लीपापोती शुरू कर दिया। पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरे निकाह को सरकारी नियमावली मान्यता नहीं देती है। 

आरोप है कि जेई सरकारी सेवा नियमावली को नहीं मानता है। वह शरीयत कानून को मानता है। शिकायतकर्ता भगवान दास की लिखित शिकायत के अनुसार जेई दोनों पत्नियों को अपने साथ रखता है। उसने सरकार और विभाग से इस बात को छिपा रखा है। वहीं, उसने अपने पहले निकाह की बात को हाईकोर्ट से छिपकर वर्ष 2017 में प्रोटेक्शन का आर्डर करवाया था। 

पत्नी के नाम फर्म बनाकर बना ठेकेदार

दूसरा निकाह करने के बाद के बाद जेई ठेकेदार बन गया। जेई ने अपनी पत्नी के नाम एक फर्म रजिस्टर्ड करवाकर लोक निर्माण विभाग के कई कामों को पेटी पर किया हैं। उसके द्वारा किए गए कामों की गुणवत्ता से भी समझौता किया गया है। लेकिन उच्च अधिकारी उसे भी नजरअंदाज करते रहे। किसी ने भी उसके काम की जांच करने की कोशिश नहीं की। बताया जाता है जेई के विभाग के एक उच्च अधिकारी से काफी करीबी संबंध हैं। उसी की शह पर वह नियमों की अनदेखी कर खुलेआम भ्रष्टाचार कर रहा है। उसकी पत्नी की फर्म को पहले भी विभाग से कई ठेके मिले हैं उनकी गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े होते रहे हैं। लेकिन किसी भी विभागीय अधिकारी ने उस पर कार्रवाई नहीं की। 

आपको बता दें कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए पहले ही एक नियम है। किसी भी अधिकारी, कर्मचारी व उसके परिवार का कोई भी व्यक्ति उस विभाग में ठेकेदारी नहीं कर सकता। यदि कोई भी अधिकारी अपने पिता पुत्र या पत्नी के नाम से फर्म बनाकर उसे विभाग में ठेकेदारी करता है तो वह नियम अनुसार गलत है। क्योंकि वह विभाग में ठेका लेकर उसमें खेल कर सकता है और इसी को देखते हुए सरकार ने यह नियम बनाया है। ऐसा करने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन नियमों की परवाह किए बिना जेई ने कुछ ही सालों की नौकरी में करोड़ों का साम्राज्य स्थापित कर लिया है। 

आय से अधिक संपत्ति का भी आरोप 

सरकारी सेवा नियमावली के अनुसार प्रत्येक सरकारी कर्मचारी व अधिकारी को हर पांच साल में अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना होता है। ताकि भ्रष्टाचार पर रोक लगा सके और अवैध रूप से वसूली करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों पर अंकुश लगाया जा सके। लेकिन बदायूं जिले में तैनात इस जेई ने अपनी संपत्ति का कोई ब्यौरा नहीं दिया है। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसकी संपत्ति की जांच हो तो बड़ा खेल उजागर हो सकता है और भ्रष्टाचार के कई बड़े मामले भी खुलकर सामने आ सकते हैं।

वहीं, इस मामले में विभाग के उच्च अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं। 

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