बरेली कॉलेज में परीक्षा का मज़ाक! ₹120 की ड्यूटी से बचते शिक्षक, चपरासियों से कराई निगरानी
बरेली। रोहिलखंड विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में बरेली कॉलेज प्रशासन की लापरवाही और शिक्षकों की गैर-जिम्मेदारी एक बार फिर सामने आई है। बीए, एमए और एमएससी की परीक्षाओं में शिक्षक ₹120 की ड्यूटी से बचते नजर आए। ऐसे में कॉलेज प्रशासन ने चपरासियों से ही कक्ष निरीक्षण करा डाला।
45 मिनट देरी से शुरू हुई परीक्षा
परीक्षा का समय सुबह 7 बजे तय था, लेकिन शुरुआत 7:45 बजे हो सकी। शिक्षकों की ड्यूटी लगी थी, मगर वे समय पर नहीं पहुंचे। परीक्षा केंद्र पर अफरा-तफरी मची रही। छात्रों को बैठाने और निगरानी के लिए कोई जिम्मेदार व्यक्ति मौजूद नहीं था।
प्रशासन की मजबूरी बनी अव्यवस्था
शिक्षकों के आने से इनकार करने पर कॉलेज प्रशासन ने चपरासियों को ही कक्ष निरीक्षण में लगा दिया। जानकारों के अनुसार यह नियमों के विरुद्ध है और परीक्षा की गोपनीयता पर सीधा सवाल खड़ा करता है।
शिक्षक धर्म पर उठे सवाल
कम मेहनताने के चलते शिक्षक सरकारी परीक्षा से कन्नी काट रहे हैं, जबकि निजी संस्थानों में मोटी रकम पर पूरी निष्ठा से ड्यूटी देते हैं। यह दोहरापन शिक्षा व्यवस्था को खोखला कर रहा है।
एनडीए परीक्षा में रिश्तेदारों को ड्यूटी
रविवार को हुई एनडीए परीक्षा में भी कई केंद्रों पर सेंटर इंचार्जों द्वारा जान-पहचान वालों और रिश्तेदारों को ड्यूटी पर लगाया गया। वहीं विश्वविद्यालय की परीक्षा को गंभीरता से न लेना प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है।
चीफ प्रॉक्टर ने मानी गलती
बरेली कॉलेज के चीफ प्रॉक्टर डॉ. आलोक खरे ने VNN से बातचीत में स्वीकारा,“परीक्षा कुछ देर से शुरू हुई। जिन शिक्षकों की ड्यूटी थी, वे अनुपस्थित रहे।
ड्यूटी से बचने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की जाए।₹120 की ड्यूटी राशि को सम्मानजनक बनाया जाए।परीक्षा ड्यूटी को बाध्यकारी और जवाबदेह बनाया जाए।
छात्रों का सवाल — हमारा भविष्य किसके भरोसे?
शिक्षा का आधारभूत ढांचा यदि ऐसे ही ढहता रहा, तो छात्रों का भविष्य किसके भरोसे रहेगा? क्या शिक्षक केवल प्राइवेट संस्थानों तक सीमित रह जाएंगे?
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