IPS kalpna सक्सेना को घसीटते वाले तीनों सिपाहियों को कोर्ट ने सुनाई दस–दस साल की सजा,50 हजार जुर्माना
बरेली। गाजियाबाद की एडिशनल कमिश्नर पुलिस कल्पना सक्सेना पर हुए जानलेवा हमले के 14 साल बाद बड़ा खुलासा और बड़ा फैसला। वर्दी में छिपे गुनहगारों को अदालत ने दोषी ठहराते हुए जेल भेज दिया था। रविंदर, रावेंद्र, मनोज और ऑटो चालक धर्मेंद्र को शुक्रवार को कोर्ट ने दोषी करार दिया था। आज 24 फरवरी को चारों को कोट ने दस –दस साल की सजा और 50 हजार रुपए जुर्माना डाला है।
यह घटना सितंबर 2010 की है, जब कल्पना सक्सेना, बरेली में एसपी ट्रैफिक थीं। ट्रैफिक चेकिंग के दौरान उन्होंने देखा कि यूपी पुलिस के तीन सिपाही ट्रकों से खुलेआम वसूली कर रहे थे। जब उन्होंने इन पुलिसकर्मियों को रोकने की कोशिश की, तो वे कार में भागने लगे। IPS अधिकारी ने गाड़ी का दरवाजा पकड़ लिया, लेकिन हैवानियत की हद तब पार हुई जब सिपाहियों ने कार नहीं रोकी और उन्हें घसीटते हुए सड़क पर गिरा दिया। IPS अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गईं, लेकिन आरोपी मौके से फरार हो गए।
पहले बहाल, फिर बर्खास्त, फिर हुई साजिश
पहले इन सिपाहियों को बर्खास्त किया गया। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर इन्हें फिर से पुलिस फोर्स में भर्ती कर लिया गया था। जब दोबारा विभागीय जांच हुई तो यह फिर दोषी पाए गए और फिर से बर्खास्त कर दिए गए। पुलिस ने ही पुलिस को बचाने की कोशिश की,जांच में भारी लापरवाही सामने आई। सबूतों से छेड़छाड़ की गई, गवाहों को डरा दिया गया। यहां तक कि IPS अधिकारी के गनर और ड्राइवर तक कोर्ट में आरोपियों को पहचानने से मुकर गए थे। जब कल्पना सक्सेना को लगा कि केस कमजोर किया जा रहा है, तो उन्होंने शीर्ष वकीलों की मदद ली और पूरा मामला पलट दिया।
कोर्ट का कड़ा रुख: "अगर IPS सुरक्षित नहीं, तो जनता का क्या
कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था जब एक IPS अधिकारी पर हमला हुआ और जांच तक में हेरफेर की गई, तो आम जनता को न्याय कैसे मिलेगा। आज इस मामले में कोर्ट ने तीनों सिपाही रविंद्र, रवेंद्र, मनोज व उसके भाई बैन चालक धर्मेन्द्र को 10 –10 साल की सजा और ₹50000 जुर्माना डाला है।
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