रोडवेज भर्ती घोटाला: ITI डिप्लोमा धारको से धांधली, पैसे लेकर नौकरी का झूठा वादा, दो दिन में बाहर का रास्ता!
पूर्व एसएम धनजी राम और एसएस हरीराम पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप, पीड़ितों ने किया भ्रष्ट व्यवस्था का पर्दाफाश
बरेली। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बरेली डिपो कार्यशाला में सामने आए भर्ती घोटाले में निलंबित एसएम धनजी राम की भूमिका एक बार फिर सवालों के घेरे में है। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बरेली डिपो कार्यशाला में आईटीआई डिप्लोमा धारकों की भर्ती घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है, जिसने सिस्टम की पोल खोल दी है। अधिकारियों द्वारा पैसों के दम पर भर्ती प्रक्रिया में बेशर्मी से भ्रष्टाचार किया गया, जिसमें नौकरी का झांसा देकर बेरहमी से युवाओं को ठगा गया।
हाल ही में निगम के एमडी ने उन्हें फ़र्ज़ी मरम्मत बिलों के घोटाले में दोषी पाते हुए निलंबित किया था। आरोप है कि धनजी राम ने निजी फर्मों के साथ मिलकर बसों की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये के फर्जी बिल तैयार कर निगम को भारी चूना लगाया।
आरोप है कि भर्ती के नाम पर एसएस हरीराम ने हाल ही में निलंबित हुए सेवा प्रबंधक (एसएम) धनजी राम की सह पर दस-दस हजार रुपए वसूले उसके बाद निलंबन के पहले उन्होंने युवाओं को महज दो दिन काम दिया और फिर बाहर का रास्ता दिखा दिया। पीड़ितों का कहना है कि पैसों की वसूली के बाद उन्हें लगातार झूठे आश्वासन दिए जा रहे हैं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
घटना से जुड़े सूत्र बताते हैं कि भर्ती के दौरान न तो कोई लिखित परीक्षा हुई, न साक्षात्कार की पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई। यह पूरी भर्ती तत्कालीन सेवा प्रबंधक धनजी राम की मन मर्जी से हुई, जिसमें युवाओं का भविष्य दांव पर लगा है।
पीड़ित युवाओं ने सरकार और संबंधित विभाग से मांग की है कि इस भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शी जांच हो, दोषियों को बख्शा न जाए और हर्जाने के साथ-साथ नौकरी दिलाने का वादा पूरा किया जाए। जिसके चलते पीड़ित लगातार कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन उन्हें झूठे आश्वासन देकर टहलाया जा रहा है।
निगम को लूटा गया, फर्मों को जीवनदान क्यों?
जांच में दोषी पाए जाने के बाद धनजी राम को उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक (एमडी) ने निलंबित कर दिया। लेकिन सवाल यह उठता है कि जिन निजी फर्मों ने इस गोरखधंधे में धनजी राम का साथ दिया, उन्हें आज तक न तो ब्लैकलिस्ट किया गया, न ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई।
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