News Breaking
Live
wb_sunny

Breaking News

बसों की मरम्मत में घोटाला: परिवहन निगम के सहायक विधि अधिकारी निलंबित

बसों की मरम्मत में घोटाला: परिवहन निगम के सहायक विधि अधिकारी निलंबित

बरेली। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम में चल रही घातक चुप्पी अब टूट रही है। लाखों के फर्जी भुगतान, झूठे बिल और गैरकानूनी मरम्मत कार्यों के खुलासे के बाद अब एक-एक करके बड़े अफसरों पर कार्रवाई की गाज गिर रही है। बसों की मरम्मत में करोड़ों रुपये के घोटाले को दबाने के आरोप में सोमवार को सहायक विधि अधिकारी निरंजन सिंह को निलंबित कर दिया गया। इस घोटाले में अब तक 13 अधिकारी-कर्मचारी दोषी पाए जा चुके हैं, जिनमें से तीन पर निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है।

यह वही परिवहन निगम है जिसकी बसें आम जनता की जिंदगी की रेखा हैं, लेकिन अफसर इन्हीं रेखाओं पर घोटाले की स्याही फेर रहे थे। बरेली, बदायूं, पीलीभीत और रुहेलखंड डिपो में फर्जी मरम्मत कार्य दिखाकर करोड़ों के बिल पास किए गए। जांच में पता चला कि जिन बसों को ‘ठीक’ बताया गया, वे थानों में सीज़ पड़ी थीं।

रुहेलखंड क्षेत्र के बरेली, पीलीभीत, बदायूं और रुहेलखंड डिपो समेत वर्कशॉपों में ममता इंटरप्राइजेज और भसीन इंटरप्राइजेज के माध्यम से बसों की मरम्मत कराई जा रही थी। आरोप है कि फर्जी बिल तैयार कर निगम से भुगतान कराया गया।

घोटाले का मामला तब तूल पकड़ा जब एक दुर्घटनाग्रस्त बस की मरम्मत का बिल सामने आया, जबकि बस थाने में सीज थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम सरवर अली ने जांच के आदेश दिए। नोडल अधिकारी सत्यनारायण द्वारा की गई जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

जांच में यह भी सामने आया कि सेवा प्रबंधक द्वारा स्वीकृत दरों के बिना सीनियर फोरमैन ने मरम्मत कार्य कराए, जबकि उन्हें इसकी कोई अधिकारिक अनुमति नहीं थी। इसके बावजूद भी भुगतान किए गए, और संबंधित अधिकारी कार्रवाई के बजाय मामले को दबाने में जुटे रहे।

पिछले सप्ताह ही सेवा प्रबंधक धन जी राम और बदायूं डिपो के एआरएम अजय सिंह को निलंबित किया गया था। अब सहायक विधि अधिकारी निरंजन सिंह पर भी गाज गिरी है, जो सहारनपुर में तैनात रहते हुए बरेली और मुरादाबाद रीजन का कानूनी कार्य देख रहे थे। उन पर गंभीर आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचार की जांच को दबाने की कोशिश की।

इस पूरे घोटाले ने निगम की कार्यशैली और आंतरिक निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जानकारों का कहना है कि यदि समय रहते जांच न होती, तो यह घोटाला वर्षों तक दबा रह सकता था।

कानून के रखवाले ही कानून के भक्षक:

सहायक विधि अधिकारी निरंजन सिंह — जिन पर कानूनी निगरानी और सलाह की ज़िम्मेदारी थी, वे खुद संदिग्ध दस्तावेज़ों को कानूनी संरक्षण देने में लगे रहे। इसी के चलते उन्हें निलंबित कर दिया गया।

अब तक की कार्रवाई:

 • 13 अधिकारी-कर्मचारी दोषी

 • 3 निलंबित: सेवा प्रबंधक, एआरएम और सहायक विधि अधिकारी

 • जांच जारी, और भी कार्रवाई संभावित

Tags

Newsletter Signup

Sed ut perspiciatis unde omnis iste natus error sit voluptatem accusantium doloremque.

एक टिप्पणी भेजें