News Breaking
Live
wb_sunny

Breaking News

Bareilly: रुहेलखंड डिपो की बसें बिना वैध परमिट भेजी जा रहीं खाटू श्यामजी, आरएम-एआरएम की शह पर चल रहा खेल

Bareilly: रुहेलखंड डिपो की बसें बिना वैध परमिट भेजी जा रहीं खाटू श्यामजी, आरएम-एआरएम की शह पर चल रहा खेल


परमिट की मियाद खत्म, फिर भी दौड़ रही बसें… अगर हादसा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार? निगम अफसरों की चुप्पी सवालों के घेरे में

बरेली। खाटू श्याम के श्रद्धालुओं को समर्पित विशेष बस सेवा अब भक्तों की आस्था के साथ खिलवाड़ का माध्यम बनती जा रही है। रुहेलखंड डिपो से जयपुर परमिट पर चलने वाली बसों को अब सीधे खाटू श्यामजी तक भेजा जा रहा है, जबकि बरेली डिपो की जिन बसों के लिए खाटू तक चलने का वैध परमिट था, उनका परमिट 28 नवंबर 2024 को ही समाप्त हो चुका है।

सवाल ये है कि बिना वैध परमिट वाली बसों को खाटू श्यामजी कैसे भेजा जा रहा है? क्या परिवहन विभाग जान-बूझकर इस लापरवाही पर आंख मूंदे बैठा है?

जब सेवा शुरू हुई थी तो दिखा था उत्साह, अब नियम ताक पर

कुछ माह पूर्व जब बरेली से खाटू श्यामजी के लिए विशेष बस सेवा शुरू की गई थी, तब कैंट विधायक संजीव अग्रवाल ने हरी झंडी दिखाकर इसे रवाना किया था। पूरे शहर में इस सेवा को लेकर उत्साह था, क्योंकि श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के सीधे खाटू श्याम दर्शन को जा सकते थे।

लेकिन अब वही सेवा अधिकारियों की लापरवाही और नियमों की धज्जियां उड़ाते संचालन की शिकार हो गई है।

चार माह का था परमिट, फिर क्यों नहीं कराया नवीनीकरण?

बरेली डिपो की जिन बसों को खाटू श्याम सेवा में लगाया गया था, उन्हें केवल चार महीने का अस्थायी परमिट दिया गया था, जो कि 28 नवंबर 2024 तक ही वैध था। इस अवधि के बाद इन बसों का परमिट दोबारा नहीं बनवाया गया।

इसके बजाय अब रुहेलखंड डिपो की बसों को खाटू श्याम भेजा जा रहा है, जिनके पास केवल जयपुर तक का ही वैध परमिट है। खाटू श्याम की दूरी जयपुर से लगभग 90 किलोमीटर आगे है, ऐसे में ये साफ तौर पर परिवहन अधिनियम का उल्लंघन है।

नाम न छापने की शर्त पर ड्राइवर और कंडक्टरों ने बताया कि, हमें ऊपर से आदेश मिलते हैं कि बस को खाटू तक लेकर जाओ। हम नियम जानते हैं, लेकिन विरोध करने का मतलब है नौकरी खतरे में डालना। ये पूरा खेल आरएम और एआरएम की मौन सहमति से हो रहा है।”

यात्रियों की जान जोखिम में, बीमा और वैधानिकता अधर में

बिना वैध परमिट किसी रूट पर बस चलाने का मतलब 

▪︎ बीमा कवरेज अमान्य हो सकता है।

▪︎ दुर्घटना की स्थिति में मुआवजा देना निगम की जिम्मेदारी नहीं बनती।

▪︎ यात्रियों की सुरक्षा सीधे-सीधे खतरे में है।

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि कोई बस खाटू श्यामजी के रास्ते में दुर्घटनाग्रस्त होती है, तो उसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? ड्राइवर, कंडक्टर या वे अधिकारी जो परमिट के बिना बसें चलवा रहे हैं?

 प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल

जनता पूछ रही है –

 • परिवहन विभाग की जांच टीम कहां है?

 • क्या विभाग जानबूझकर इस गड़बड़ी को नजरअंदाज़ कर रहा है?

 • क्या श्रद्धालुओं की आस्था को कुछ अधिकारियों ने ‘कमाई का जरिया’ बना लिया है?

यह सिर्फ लापरवाही नहीं, संभावित आपराधिक चूक है

अगर नियम विरुद्ध बस संचालन में कोई जनहानि होती है, तो यह सीधे-सीधे गंभीर अपराध की श्रेणी में आएगा। आरएम, एआरएम और संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए।

अब देखना ये होगा कि क्या परिवहन निगम इस मामले की गंभीरता को समझेगा, या फिर श्रद्धालुओं की जान के साथ यह खेल यूं ही चलता रहेगा?

इस मामले में आरएम दीपक चौधरी ने बताया कि रुहेलखंड डिपो की बस को आपसी समझौते के तहत चलाया जा रहा है। परमिट है कि नहीं यह देखना पड़ेगा।

Tags

Newsletter Signup

Sed ut perspiciatis unde omnis iste natus error sit voluptatem accusantium doloremque.

Next
This is the most recent post.
Previous
पुरानी पोस्ट

एक टिप्पणी भेजें