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प्राचीन लेटे हनुमान मंदिर के महंत पर भूमाफियाओं से मिलीभगत का आरोप, व्यापारियों ने डीएम से की शिकायत

प्राचीन लेटे हनुमान मंदिर के महंत पर भूमाफियाओं से मिलीभगत का आरोप, व्यापारियों ने डीएम से की शिकायत


जागेश्वर न्यूज़ नेटवर्क 

बरेली। रामगंगा नदी के किनारे स्थित प्राचीन लेटे हनुमान मंदिर एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया है। इस बार मंदिर की गरिमा और परंपरा की आड़ में महंत और व्यापारियों के बीच तकरार खुलकर सामने आई है। मंदिर में बीते दिनों श्रद्धालुओं के साथ पहुंचे व्यापारियों ने महंत के खिलाफ संगीन आरोप लगाते हुए जिला प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। व्यापारियों का कहना है कि मंदिर की जमीन को हड़पने की नीयत से महंत ने भूमाफियाओं से सांठगांठ कर ली है और अब सेवा-पूजा में लगे लोगों को बेवजह टारगेट किया जा रहा है।

श्री रामगंगा आरती आयोजन समिति के सदस्यों आशु अग्रवाल, अमित भारद्वाज, पंकज मिश्रा और विशाल मेहरोत्रा ने डीएम को ज्ञापन सौंपते हुए पूरे घटनाक्रम की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 20 मई को समिति के कई सदस्य श्रद्धालुओं के साथ वानर सेवा और हनुमान चालीसा पाठ के आयोजन हेतु मंदिर पहुंचे थे, लेकिन वहां मौजूद महंत ने न सिर्फ पत्रकारों से बदसलूकी की बल्कि स्थानीय विधायक के खिलाफ भी अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया। यह सब उस समय हुआ जब कुछ पत्रकारों ने मंदिर की ऐतिहासिकता को लेकर सवाल किए।

मंदिर के विकास में व्यापारियों का योगदान, अब बन रहे निशाना

समिति के सदस्यों ने बताया कि वे वर्ष 2006 से मंदिर की सेवा, सौंदर्यीकरण और आरती आयोजन जैसे कार्यों में लगातार सहयोग कर रहे हैं। उनका दावा है कि विधायक राजेश मिश्रा और वर्तमान विधायक राघवेंद्र शर्मा के प्रयासों से मंदिर और घाट के जीर्णोद्धार हेतु बजट स्वीकृत हुआ, जिससे मंदिर की सूरत बदलनी शुरू हुई। लेकिन, इसी के बाद महंत का रवैया बदलने लगा और अब वे उन लोगों के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं जो वर्षों से मंदिर की सेवा में लगे हैं।

व्यापारियों ने महंत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने कुछ संदिग्ध भू-माफियाओं से संपर्क स्थापित कर लिया है और मंदिर की जमीन को कब्जाने की तैयारी में हैं। आरोप यह भी है कि इन तत्वों के इशारे पर ही महंत अब आरती, पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक आयोजनों में अड़चन डाल रहे हैं। समिति ने प्रशासन से महंत की कॉल डिटेल्स की जांच कराने और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

इस प्रकरण में कई स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और व्यापारियों ने भी समिति का समर्थन करते हुए महंत के रवैये को शर्मनाक बताया है। लोगों का कहना है कि यह मंदिर बरेली की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है, जिसकी गरिमा को किसी भी कीमत पर ठेस नहीं लगने दी जाएगी।

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