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अमर शहीदों को नमन: भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की शहादत को छात्रों ने किया याद

अमर शहीदों को नमन: भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की शहादत को छात्रों ने किया याद


बरेली।
अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) द्वारा बरेली कॉलेज में एक विचार गोष्ठी और श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान छात्रों और समाजसेवियों ने शहीदों को नमन करते हुए उनके विचारों को मौजूदा दौर में प्रासंगिक बताया और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत क्रांतिकारी गीत 'मेरा रंग दे बसंती चोला' से हुई, जिसने उपस्थित जनों में देशभक्ति की भावना जगा दी। इसके बाद शहीदों के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम के दौरान कॉलेज परिसर में भगत सिंह और उनके विचारों से संबंधित पर्चे भी वितरित किए गए।

"शहीदों के सपनों का भारत बनाना होगा"

कार्यक्रम का संचालन करते हुए पछास की बरेली कॉलेज इकाई की संयोजक निशा ने कहा कि भगत सिंह केवल एक क्रांतिकारी ही नहीं, बल्कि एक विचारक भी थे। उन्होंने आज़ादी को केवल अंग्रेज़ों से मुक्ति तक सीमित नहीं रखा, बल्कि एक ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहां शोषण, अन्याय और असमानता न हो।

लॉ के छात्र आसिफ़ ने भगत सिंह के विचारों को उद्धृत करते हुए कहा, "जो सरकार जनता को उनके बुनियादी हक-अधिकारों से वंचित रखती है, उसे समाप्त कर देना चाहिए।" उन्होंने कहा कि आज भी जनता के अधिकारों को कुचला जा रहा है, ऐसे में भगत सिंह की बातें पहले से भी ज्यादा प्रासंगिक हो गई हैं। क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के शहर सचिव मो. फैसल ने कहा कि शासक वर्ग आज भी अंग्रेजों की 'फूट डालो, राज करो' की नीति पर चल रहा है। भगत सिंह ने जाति-धर्म से ऊपर उठकर मेहनतकशों की एकता पर ज़ोर दिया था, और आज भी यही रास्ता शोषण के खिलाफ संघर्ष में सबसे कारगर है।

"लोकतंत्र के नाम पर दमन बढ़ा, लेकिन संघर्ष रुका नहीं"

अस्थायी कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष जितेंद्र मिश्रा ने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का बलिदान केवल इतिहास नहीं, बल्कि हमारी विरासत है। आज शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार को हर नागरिक तक पहुँचाने की लड़ाई जारी है, और हमें इसे आगे बढ़ाना होगा। लॉ के छात्र वीरेश ने कहा कि मौजूदा सरकारें अंग्रेजों से भी आगे बढ़कर दमनकारी नीतियों को लागू कर रही हैं। "बिना ट्रायल के लोगों को जेलों में ठूंसा जा रहा है, उनके घरों पर बुलडोज़र चलाए जा रहे हैं और आवाज़ उठाने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है," उन्होंने कहा।

पछास के कैलाश ने कहा कि सरकारें चाहे जितना भी भगत सिंह और उनके साथियों को भुलाने की कोशिश करें, लेकिन वे आज भी आम जनता के नायक बने हुए हैं। "भगत सिंह केवल स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, वे शोषणमुक्त समाज के पक्षधर थे। यही कारण है कि सत्ता में बैठे लोग उन्हें सिर्फ एक बहादुर युवक के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं, ताकि जनता उनके असली विचारों से दूर रहे," उन्होंने कहा।

छात्रों ने लिया संकल्प

गोष्ठी के अंत में छात्रों ने संकल्प लिया कि वे भगत सिंह और उनके साथियों के विचारों को आगे बढ़ाएंगे और एक ऐसे भारत के निर्माण के लिए संघर्ष करेंगे, जहां हर नागरिक को न्याय, समानता और सम्मान मिले। इस मौके पर आलोक कुमार, नितिन कमल, वीरेश हर्ष, मो. आसिफ, शोएब, करन कुमार, अर्चित मौर्य, नंदिनी, दिशा, रजत, लक्ष्य राठौर, प्रद्युम्न शर्मा, पुष्पेंद्र, नितिन कुमार सहित कई छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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