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रमजान की रौनक बढ़ाने में महिलाओं की अहम भूमिका: सलमान मिया

रमजान की रौनक बढ़ाने में महिलाओं की अहम भूमिका: सलमान मिया


बरेली।
 रमजान का पाक महीना आते ही पूरी दुनिया में रूहानी खुशियों की लहर दौड़ जाती है। रोजेदारों के दिलों में अल्लाह की इबादत का जज़्बा उमड़ता है, और हर शाम इफ्तार के वक्त दस्तरख़ान लजीज व्यंजनों की खुशबू से महक उठता है। लेकिन इस मुकद्दस महीने की असली रौनक और बरकत बढ़ाने में महिलाओं की भूमिका सबसे अहम होती है। वे खुद रोजा रखने के साथ-साथ पूरे परिवार के लिए सहरी और इफ्तार की तैयारियों में जी-जान से जुटी रहती हैं।

“रमजान में जब रोजेदारों के सामने तरह-तरह के पकवान सजे होते हैं, तो उनकी खुशियों के पीछे महिलाओं की मेहनत छुपी होती है। अल्लाह ने रोजेदारों के लिए बेहतरीन इनाम रखा है, और इसमें महिलाओं की सेवा भी एक बड़ी इबादत बन जाती है।”यह कहना है जमात रज़ा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान (सलमान मिया) का।

महिलाओं की दिनचर्या रमजान में होती है और भी व्यस्त

सलमान मिया ने कहा कि रमजान के दौरान आमतौर पर पुरुष अपनी व्यस्तता थोड़ी कम कर देते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए यह महीना दोगुनी मेहनत लेकर आता है। वे दोपहर से ही इफ्तार की तैयारियों में जुट जाती हैं और रात देर तक व्यस्त रहती हैं। इसके बाद फज्र से पहले सहरी की तैयारी भी उन्हीं के जिम्मे होती है। इस दौरान बच्चों को तैयार करना, घर की सफाई और रोजमर्रा के काम भी चलते रहते हैं, जिससे उन्हें मुश्किल से तीन-चार घंटे ही आराम मिल पाता है।

मर्दों को भी करनी चाहिए मदद

सलमान मिया ने कहा कि इस पाक महीने में मर्दों का फर्ज बनता है कि वे घर के कामों में अपनी बीवियों का साथ दें, ताकि वे भी थोड़ा आराम कर सकें। पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम खुद अपनी बीवियों के कामों में मदद किया करते थे, और हमें भी उनका अनुसरण करना चाहिए। इससे न सिर्फ रिश्तों में मोहब्बत बढ़ेगी, बल्कि रमजान की बरकत भी और ज्यादा नसीब होगी।

रोजेदारों के लिए दो खुशियां

उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूल फरमाते हैं कि रोजेदारों के लिए दो बड़ी खुशियां हैं—एक इफ्तार के वक्त और दूसरी जब वे अपने रब से मुलाकात करेंगे। जब इफ्तार के समय घर का हर सदस्य खुशी से रोजा खोलता है, तो उस खुशी के पीछे महिलाओं की बड़ी कुर्बानी होती है। इसीलिए, समाज को उनकी इस मेहनत की कद्र करनी चाहिए और उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। रमजान सिर्फ इबादत ही नहीं, बल्कि आपसी मोहब्बत और सहयोग का भी महीना है

सलमान मिया ने कहा कि रमजान का असल पैगाम सिर्फ इबादत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आपसी प्यार, सहयोग और नेकदिली का भी महीना है। अगर घर के मर्द अपने परिवार की महिलाओं की जिम्मेदारियों को हल्का करने में मदद करें, तो इससे न केवल घर का माहौल खुशनुमा होगा, बल्कि रमजान की रूहानी बरकत भी बढ़ जाएगी।


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