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Bareilly: माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने छोटे दुकानदारों को बनाया शिकार, वसूल रहे मोटा ब्याज

Bareilly: माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने छोटे दुकानदारों को बनाया शिकार, वसूल रहे मोटा ब्याज


बरेली। ज़िला में चल रही सैकड़ो माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने छोटे दुकानदारों को अपने मकड़जाल में फँसा रखा हैं।जिससे दुकानदारों के लिए एक नई आफत खड़ी हो गई है। माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने सूदखोरी का ऐसा जाल फैला रखा है कि जो एक बार फंसा, वह या तो अपना सब कुछ गंवा बैठता है या फिर गुंडों की धमकियों से सहम जाता है। यह कहानी किसी फिल्मी विलेन की नहीं, बल्कि शहर में खुलेआम लूट मचाने वाली माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की है, जो गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें कर्ज के जाल में फंसाती हैं।

“डूबते को तिनके का सहारा”यही सोचकर गरीब छोटे दुकानदार इन कंपनियों के पास मदद की उम्मीद में जाते हैं। लेकिन यह सहारा नहीं, बल्कि एक ऐसा फंदा है जिसमें फंसते ही इंसान बर्बाद हो जाता है। शुरू में कम ब्याज का लालच दिया जाता है, लेकिन धीरे-धीरे मोटा ब्याज वसूला जाता है। समय पर पैसा न चुका पाने वालों को किसी बैंक की कानूनी नोटिस नहीं, बल्कि गुंडों की धमकियां मिलती हैं।

ये कंपनियां सिर्फ कागजों में माइक्रोफाइनेंस संस्थान हैं, असल में यह कर्ज के नाम पर खुलेआम वसूली गैंग चला रही हैं। इनके लिए गरीब दुकानदार महज एक शिकार हैं, जिनका खून चूसकर ये धन्नासेठ बने बैठे हैं। मजबूर दुकानदार जब ब्याज चुकाने में असमर्थ हो जाते हैं, तो कंपनी के गुंडे उनके दरवाजे पर धमक जाते हैं। गालियों की बौछार, धक्कामुक्की और यहां तक कि मारपीट तक की नौबत आ जाती है।

ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां लोग कर्ज से तंग आकर अपनी दुकानें बंद करने को मजबूर हो गए। कोई अपनी दुकान गिरवी रख चुका है, तो कोई कर्ज चुकाने के लिए अपनी ज़मीन बेचने पर उतारू है। 

सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रशासन आखिर कब जागेगा? क्यों इन कंपनियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती? गरीबों के हक का पैसा लूटकर अमीरी की ऊंचाइयों पर बैठने वालों पर कब शिकंजा कसा जाएगा? अगर इन सूदखोरों पर लगाम नहीं कसी गई, तो बरेली के सैकड़ों छोटे दुकानदार इसी जाल में फंसकर बर्बाद होते रहेंगे।

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