Bareilly: परिवहन निगम में अफसर की मिली भगत से हुआ था बिलों का फर्जीवाड़ा, जांच में हुआ खुलासा
न फर्में में ब्लैकलिस्ट हुई, न एफआईआर हुई, कार्यवाही के नाम पर केवल लीपापोती
बरेली। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की कार्यशाला में बसों की मरम्मत किए बिना फर्जी बिल बनाकर भुगतान किए जाने के मामले में अधिकारी और कर्मचारी के मिली भगत का खेल जांच में उजागर हुआ है। नोडल अधिकारी सत्य नारायण के जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। जांच रिपोर्ट के अनुसार ममता एंटरप्राइजेज और भसीन एंटरप्राइजेज के द्वारा फरवरी 2024 में प्रेषित बिलों के निरीक्षण के बाद बरेली, रुहेलखंड ओर पीलीभीत डिपो के कई अधिकारी व कर्मचारी फर्जी बिलों के सत्यापन करने के लिए दोषी पाए गए हैं। वहीं, फर्जी बिलों का भुगतान करने पर दो अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है। फर्जीवाड़ा कर सरकारी धन दुरूपयोग के मामले में मुख्य भूमिका निभाने वाले अफसर की रसूख के चलते जांच रिपोर्ट को रद्दी की टोकरी में डालकर पूरे मामले में लीपापोती कर दी गई।
फर्मों को ब्लैकलिस्ट कर क्यों नहीं करवाई एफआईआर?
फर्जी बिलों के सहारे सरकारी धन के गबन के बाद हुई जांच में जब ममता इंटरप्राइजेज और भसीन इंटरप्राइजेज को दोषी ठहराया गया है तो अब तक उन दोनों फर्मों को ब्लैकलिस्ट क्यों नहीं किया।
कानून के जानकारी के मुताबिक ऐसे मामले में दोनों फर्मों को ब्लैक लिस्ट करने के साथ ही उनके ऊपर एफआईआर दर्ज करायी जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ ठीक इसके विपरीत आज भी इसी कार्यशाला में दोनों फॉर्म कार्यरत है।
अब तक क्यों निलंबित नहीं हुए दोषी कर्मचारियों और अधिकारी?
फर्जी बिलों के सत्यापन और भुगतान के मामले की जांच में आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी और अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है। लेकिन किसी भी दोषी अधिकारी और कर्मचारियों के ऊपर अभी तक न तो कोई एफआईआर दर्ज कराई गई। न निलंबन की कार्यवाही की गई। पदों पर बैठे कर्मचारी और अधिकारी अभी भी मलाई काट रहे हैं।
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