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BAREILLY UPSRTC: फर्जी बिल बनने के आरोप में दोषी पाई गई फर्म का कर दिया भुगतान

BAREILLY UPSRTC: फर्जी बिल बनने के आरोप में दोषी पाई गई फर्म का कर दिया भुगतान


एक टेंडर निरस्त दूसरे पर अभी भी काम कर रही ममता एंटरप्राइज़ेज 

बरेली। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की कार्यशाला में बसों में मरम्मत के बिना फर्जी बिल बनाकर लाखों रुपए के सरकारी धन का बंदरबांट किया गया। जांच के दौरान ममता इंटरप्राइजेज और भसीन इंटरप्राइजेज के फर्जी बिल बनने का खुलासा हुआ था। वही, फर्जी बिलों को पासकर भुगतान करने के मामले में अफसर भी दोषी पाए गए थे। लेकिन फर्मों और परिवहन निगम के अफसरों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। 

आपको बता दें कि ममता इंटरप्राइजेज को एक जनवरी 2024 को क्षेत्रीय कार्यशाला, बरेली डिपो और रूहेलखंड डिपो में कार्य करने का कार्य आदेश जारी किया गया था। उसके बाद बसों की मरम्मत करें बिना ही फर्जी बिल बनाकर उनका भुगतान लेने के आरोप में कार्य आदेश को निरस्त कर दिया गया था। वहीं जांच के दौरान अफसर ने ममता इंटरप्राइजेज को लंबित बिलों का भी भुगतान कर दिया। जबकि जांच के दौरान भुगतान पर रोक लगनी चाहिए थी। लेकिन बिलों के फर्जीवाड़े में अफसर की साठगांठ के भुगतान पर रोक नहीं लगाई। 

इस मामले में नोडल अधिकारी सत्यनारायण से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा जांच की गई थी। जांच के दौरान दोनों फर्मों और कुछ अधिकारी व कर्मचारी दोषी पाए गए थे। जांच रिपोर्ट जीएम टेक्निकल को सौंप दी गई थी। इसके बाद क्या कार्रवाई हुई या नहीं हुई यह जानकारी मुझे नहीं है।

बिलों का फर्जीवाड़ा करने वाली फर्म अब भी कर रही कार्य

बिलों का फर्जीवाड़ा करने वाली फार्म ममता इंटरप्राइजेज अभी भी बरेली डिपो ओर रुहेलखंड डिपो में बस की धुलाई और सफाई का कार्य कर रही। जबकि दूसरे टेंडर में फर्जी बिल बनने के आरोप में ममता इंटरप्राइजेज दोषी पाई गई थी। लेकिन स्थानीय अफसर की दया दृष्टि के चलते फर्म को ब्लैक लिस्टेड नहीं किए गए। यही वजह है कि दोषी फर्म अभी उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की कार्यशाला में पैर जमाए हुए हैं। 

लेबर के पंजीकरण में भी किया था फर्जीवाड़ा 

ममता इंटरप्राइजेज के द्वारा जनवरी 2024 में जारी कार्यालय आदेश के अनुपालन में जब कार्यशाला में बसों के मरम्मत का काम किया जा रहा था। उसे दौरान श्रम विभाग में लेबर के पंजीकरण के दौरान भी फर्जीवाड़ा किया गया। सूत्रों के अनुसार 10-15 लोगों के पंजीकरण के बाद 40 से 50 आदमियों को वहां काम पर लगाया गया था जिनका श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं था। विभागीय सूत्रों के अनुसार अभी भी ममता एंटरप्राइजेज बसों की धुलाई और सफाई के दौरान जिन कर्मचारियों से कार्य करती है उन सभी का श्रम विभाग में पंजीकरण नहीं है।

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