लोको पायलटों का 36 घंटे का महाआंदोलन: भूखे रहकर भी करेंगे ड्यूटी, मांगें न मानी गईं तो होगा बड़ा प्रदर्शन
बरेली। भारतीय रेलवे के लोको पायलटों ने अपनी मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है। ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) के आह्वान पर बरेली जंक्शन पर 150 से अधिक रनिंग स्टाफ ने 36 घंटे की भूख हड़ताल शुरू कर दी है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनकी हड़ताल से ट्रेनों के संचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा, और वे ड्यूटी के दौरान भी भूखे रहकर अपनी जिम्मेदारी निभाते रहेंगे।
लोको पायलटों का आरोप: 60 घंटे तक कराई गई ड्यूटी, ब्रेन हेमरेज से एक की हालत गंभीर
लोको पायलटों का कहना है कि रेलवे प्रशासन उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर कर रहा है। एक लोको पायलट से 60 घंटे तक लगातार ड्यूटी कराई गई, जब उसने थकान के कारण ट्रेन को बीच में रोक दिया, तो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। इस प्रताड़ना के कारण उसे ब्रेन हेमरेज हो गया और अब वह अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती है।
मुख्य मांगें: 25% माइलेज रेट बढ़ाने से लेकर 9 घंटे की ड्यूटी सीमा तक
लोको पायलटों की प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं
माइलेज रेट में 25% की वृद्धि सरकार ने महंगाई भत्ता 50% तक पहुंचने पर सभी कर्मचारियों के ट्रैवल अलाउंस (TA) में 25% की वृद्धि की है, लेकिन लोको पायलटों के माइलेज रेट में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई।साथ ही 9 घंटे से अधिक ड्यूटी पर रोक लगाई जाए ।लोको पायलटों का कहना है कि लगातार 9 घंटे से अधिक ट्रेन चलाना उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरनाक है। उन्होंने मांग की है स्पॉड में रिमूवल की सजा खत्म हो लोको पायलटों को छोटी-छोटी गलतियों पर कड़ी सजा दी जाती है, जिससे उनके करियर पर खतरा मंडराने लगता है। इसके साथ ही पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल की जाए। नई पेंशन प्रणाली के कारण कर्मचारियों को कम सुरक्षा मिल रही है, जिसे वे अस्वीकार्य मानते हैं। लगातार नाइट शिफ्ट सिर्फ दो दिन तक सीमित हो।लोको पायलटों का कहना है कि लगातार नाइट ड्यूटी से उनकी कार्यक्षमता और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
रेलवे प्रशासन की चुप्पी, आंदोलन और तेज करने की चेतावनी
लोको पायलटों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे। उनका आरोप है कि रेल मंत्रालय उनकी शिकायतों को लगातार नजरअंदाज कर रहा है। वहीं, रेलवे प्रशासन इस पर चुप्पी साधे हुए है।
हड़ताल का नेतृत्व जितेंद्र कुमार कर रहे हैं, जबकि इसमें मंडल सचिव एस. के. चौरसिया, मंडल कोषाध्यक्ष अनूप वैश्य, मंडल संयुक्त सचिव सोमवीर यादव, शाखा सचिव अभय कुमार, हेमंत कुमार, पवन कुमार, अभिषेक मिश्रा, सूर्यकांत, धनंजय, राजेश, विकास, निज़ाम हसन, हरेंद्र, सुमित समेत 150 से ज्यादा रनिंग स्टाफ शामिल हैं।
लोको पायलट का बेटा भी धरने पर बैठा, बोला – "पापा के लिए न्याय चाहिए"
इस हड़ताल में एक लोको पायलट का बेटा भी अपने पिता के साथ धरने पर बैठा। उसने कहा, "मेरे पापा पूरी मेहनत से देश की सेवा करते हैं, लेकिन रेलवे उनके साथ अन्याय कर रहा है। हम अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे।
यात्रियों पर असर पड़ने की संभावना
फिलहाल, हड़ताल का सीधा असर ट्रेनों की आवाजाही पर नहीं पड़ा है, लेकिन अगर यह प्रदर्शन और तेज हुआ, तो यात्रियों को असुविधा झेलनी पड़ सकती है। रेलवे प्रशासन इस हड़ताल को हल्के में नहीं ले सकता, क्योंकि यह पूरे देश में फैल सकती है।
क्या कहता है कानून
रेलवे नियमों के अनुसार, किसी भी लोको पायलट से लगातार 9 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जाना चाहिए। लेकिन, हकीकत में नियमों का पालन नहीं हो रहा। 60 घंटे की लगातार ड्यूटी कराना न केवल श्रम कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि यह लोको पायलटों और यात्रियों की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है।
अगला कदम क्या होगा
लोको पायलटों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो वे पूरे देश में रेलवे को ठप करने के लिए मजबूर हो जाएंगे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रेलवे प्रशासन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाता है।
क्या रेलवे प्रशासन लोको पायलटों की मांगें मानेगा, या फिर यह हड़ताल और तेज होगी? यह देखना बाकी है।
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