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UPSRTC: दोनों डिपो के टेंडर रद्द, फिर भी दोषी फर्मों का काम जारी

UPSRTC: दोनों डिपो के टेंडर रद्द, फिर भी दोषी फर्मों का काम जारी


बिना कार्य आदेश के भुगतान, खुलने लगी भ्रष्टाचार की परतें

बरेली। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में एक बार फिर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। बरेली और रुहेलखंड डिपो कार्यशालाओं में आउटसोर्स जॉब वर्क के टेंडरों को तो निरस्त कर दिया गया, लेकिन जांच में दोषी पाई गईं फर्में आज भी निगम की छत्रछाया में निर्बाध कार्य कर रही हैं।

दरअसल, परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा भ्रष्टाचार के मामलों में सख्ती बरते जाने के बाद तत्कालीन सेवा प्रबंधक धनजीराम के कार्यकाल में जारी बरेली और रुहेलखंड डिपो के आउटसोर्स टेंडरों को 31 मई को खोला जाना था, जिन्हें अंतिम क्षण में निरस्त कर दिया गया है। यह कदम जांच में गड़बड़ियों की पुष्टि के बाद उठाया गया, लेकिन इसके बावजूद दोषी पाई गईं ममता इंटरप्राइजेज और भसीन इंटरप्राइजेज का कार्य बिना किसी रोक-टोक के जारी है।

जाँच में दोषी पायी गई फ़र्मो का कार्यादेश निरस्त कर दिया गया था। लेकिन अभी भी ममता इंटरप्राइजेज बरेली और रुहेलखंड डिपो की बसों की धुलाई का कार्य कर रही हैं। जांच में कई अनियमितताएं सामने आईं, बावजूद इसके यह फर्म आज भी कार्य कर रही है और पूर्व में भुगतान भी प्राप्त कर चुकी है। वहीं, भसीन इंटरप्राइजेज ने कार्य आदेश के बिना ही दोनों डिपो में बसों की मरम्मत का कार्य कर रही हैं। बिना कार्यादेश के लगातार भुगतान भी ले रही है। सूत्रों के अनुसार फर्म के द्वारा पिछले माह के बिलों की जांच अब भी जारी है और फिर से भुगतान की तैयारी हो रही है।

प्रबन्ध निदेशक द्वारा दोषी फर्मों को ब्लैकलिस्ट करने की कोई कार्यवाही अब तक नहीं की गई है, जिससे परिवहन निगम के भीतर भ्रष्टाचार के मजबूत जाल की पुष्टि होती है। कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी बिलिंग और भुगतान की परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जिसे रोकने में निगम अब तक विफल रहा है।

कागजों में हेराफेरी कर लिया टेंडर और फर्जी बिलिंग जारी 

पीलीभीत और क्षेत्रीय कार्यशाला में भी गड़बड़ियों की खबरें सामने आई हैं, सूत्रो का दावा है कागजों में हेराफेरी कर भसीन इंटरप्राइज़ेज़ ने टेंडर हासिल किया है। वहाँ भी बिना बसों की मरम्मत किए ही बिल बनाए जा रहे हैं। यह एक सुनियोजित भ्रष्टाचार का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसमें कई स्तर के अधिकारी शामिल हो सकते हैं।

जांच के दायरे से बाहर दोषी फोरमैन 

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि जांच में सीनियर फोरमैन नवाबुद्दीन, जिनके हस्ताक्षर फर्जी मरम्मत के बिलों पर पाए गए हैं, उन्हें अब तक जांच के दायरे में नहीं लाया गया है। सूत्रों का दावा है कि थाने में खड़ी बस का भी बिल बनाकर भुगतान लिया गया, और उस बिल पर भी सीनियर फोरमैन नवाबुद्दीन के हस्ताक्षर हैं।

ठेकेदार का मुंशी बना खुद ठेकेदार, जमा की अकूत संपत्ति

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की कार्यशालाओं में चल रहे भ्रष्टाचार की परतें जितनी खुलती हैं, उतनी ही गहराई तक इसकी जड़ें फैली नजर आती हैं। हाल ही में उजागर हुई जानकारी में एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक साधारण मुंशी ने ठेकेदारी की दुनिया में छलांग लगाई और भ्रष्टाचार के सहारे अकूत संपत्ति खड़ी कर ली। सूत्रों की मानें तो यह व्यक्ति कभी एक ठेकेदार के अधीन मुंशी की भूमिका निभाता था, जो उसकी फर्म के लेन-देन, बिलिंग और दस्तावेजों का काम देखता था। लेकिन जल्द ही उसने पूरे सिस्टम की कमजोरियों और अंदर की सेटिंग को समझ लिया। इसके बाद उसने खुद की फर्म खोलकर सीधे परिवहन निगम के ठेकों में उतरना शुरू कर दिया। फिर मनमाने ढंग से बिल बना कर निगम को वित्तीय हानि पहुँचाकर अकूत संपत्ति इकट्ठी कर ली।

यह कहानी उस खोखले सिस्टम की है, जहां एक मुंशी तक अगर व्यवस्था की कमजोरी पकड़ ले, तो कुछ ही वर्षों में करोड़पति बन सकता है, वह भी सरकारी पैसे से! अगर समय रहते ऐसे तत्वों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह संक्रमण पूरे तंत्र को खोखला कर देगा।

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