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एमजेपीआरयू और एनबीएफजीआर के बीच एमओयू, मत्स्य अनुसंधान में मिलेगा नया आयाम

एमजेपीआरयू और एनबीएफजीआर के बीच एमओयू, मत्स्य अनुसंधान में मिलेगा नया आयाम


बरेली।
महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय (एमजेपीआरयू) और लखनऊ स्थित राष्ट्रीय मत्स्य अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो (एनबीएफजीआर) के बीच शुक्रवार को एक अहम समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का उद्देश्य शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देना है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.पी. सिंह, डीन एकेडमिक्स प्रो. एस.के. पांडे, प्रो. आलोक श्रीवास्तव, डॉ. आभा त्रिवेदी समेत दोनों संस्थानों के अधिकारी उपस्थित रहे।

समझौते के तहत एमजेपीआरयू द्वारा एनबीएफजीआर को अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संकाय के अंतर्गत मान्यता दी जाएगी। इससे एनबीएफजीआर के वैज्ञानिक पीएच.डी. छात्रों के सह-मार्गदर्शक के रूप में कार्य कर सकेंगे। वहीं, विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को एनबीएफजीआर की उन्नत प्रयोगशालाओं और अनुसंधान संसाधनों का लाभ मिलेगा।

छात्रों को छह महीने का कोर्सवर्क एनबीएफजीआर में पूरा करना होगा, जो विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम के अनुसार होगा। साथ ही जैव प्रौद्योगिकी, आणविक आनुवंशिकी, मत्स्य प्रजनन तकनीक और जलीय पारिस्थितिकी जैसे क्षेत्रों में संयुक्त शोध परियोजनाएं चलाई जाएंगी।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. सिंह ने कहा, “यह साझेदारी हमारे शोधकर्ताओं को राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं तक पहुँच प्रदान करेगी और मत्स्य विज्ञान के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा देगी।”

यह एमओयू दोनों संस्थानों के बीच ज्ञान, संसाधन और तकनीकी सहयोग को सशक्त करेगा, जिससे विद्यार्थियों को व्यापक लाभ मिलेगा।

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