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UPSRTC BAREILLY: टेंडर के बिना ही रुहेलखंड और बरेली डिपो में बसों की मरम्मत कर रही भसीन इंटरप्राइजेज

UPSRTC BAREILLY: टेंडर के बिना ही रुहेलखंड और बरेली डिपो में बसों की मरम्मत कर रही भसीन इंटरप्राइजेज


ममता एंटरप्राइजेज और भसीन इंटरप्राइजेज का टेंडर निरस्त करने के बाद दोषी अफसरों ने निगम को वित्तीय हानि पहुंचाने के लिए किया खेल 

बरेली। उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम में बिना बसों की मरम्मत के फर्जी बिल बनाकर लाखों रुपए की निगम को वित्तीय हानि पहुंचाने वाली फर्म ममता एंटरप्राइजेज और भसीन एंटरप्राइजेज का कार्य आदेश निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद दोषी अफसर ने एक बैठक कर महाकुंभ मेला 2025 का हवाला देते हुए निगम को वित्तीय हानि पहुंचाने का एक नया रास्ता खोज लिया। 

आपको बता दें कि बरेली डिपो कार्यशाला और रुहेलखंड डिपो कार्यशाला में कार्य करने के लिए सैनिक इंजीनियरिंग वर्क्स, हरदोई को जनवरी माह में कार्य आदेश जारी हुआ था। लेकिन सैनिक इंजीनियरिंग वर्क्स कार्य करने के लिए नहीं आई। इसके बाद दोषी अधिकारियों ने दोबारा निविदा निकालने की जगह महाकुंभ मेला 2025 का सहारा लिया उसके बाद पहले दोषी पाई गई फर्म भसीन इंटरप्राइजेज को फिर से बरेली डिपो कार्यशाला और रुहेलखंड डिपो कार्यशाला में कार्य करने की अनुमति दे दी। जबकि नियम अनुसार निविदा निकाल कर दोबारा से टेंडर किया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

विभागीय सूत्रों की माने तो बरेली और रुहेलखंड डिपो कार्यशाला में कार्य करने वाली फर्म भसीन इंटरप्राइजेज की विभाग में अच्छी सांठगांठ है। जिसके चलते टेंडर प्रक्रिया को पूरा करें बिना ही, भसीन इंटरप्राइजेज ने दोनों कार्यशालाओ में बसों की मरम्मत शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक अभी भी फर्जी बिलों का खेल बदस्तूर जारी है। स्थानीय स्तर पर बैठे उच्च अधिकारी इस पूरे खेल में शामिल है। इस पूरे प्रकरण पर जब सेवा प्रबंधक धनजी राम से बात की तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया। बीमार होने की बात कहकर मामले को टाल दिया। 

थाने में खड़ी बस का बिल पास करने वाला फोरमैन जांच के बाहर

थाने में खड़ी बस की मरम्मत का बीते दिनों फर्जी बिल बनाया गया था। जिसको सीनियर फोरमैन नवाबुद्दीन ने सत्यापित किया था। जबकि दुर्घटनाग्रस्त बस थाने में खड़ी थी। फिर भी उसकी मरम्मत दर्शाते हुए बिल को सत्यापित कर दिया था। इसके बाद उन्होंने अपनी गड़बड़ी को स्वीकार भी किया था। लेकिन फिर भी जीएम टेक्निकल व नोडल अधिकारी सत्यनारायण की जांच में उनका नाम शामिल नहीं है। क्योंकि जीएम टेक्निकल सत्य नारायण ने केवल फरवरी 2024 तक के बिलों की जांच की थी, उसके बाद के बिलों की जांच होना अभी तक बाकी है। इस जांच के बाद उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम को वित्तीय हानि पहुंचाने वाले कई और अफसर के नाम सामने आएंगे। दोषी अधिकारी अभी भी पदों पर बैठकर खेल कर रहे हैं। ताकि उनको भी वित्तीय लाभ हो सके।

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