News Breaking
Live
wb_sunny

Breaking News

"कलेक्टर नहीं बने तो क्या इंसान भी नहीं रहे?" बरेली कॉलेज में प्राचार्य का अमानवीय तंज, अस्थाई कर्मचारियों का फूटा ग़ुस्सा

"कलेक्टर नहीं बने तो क्या इंसान भी नहीं रहे?" बरेली कॉलेज में प्राचार्य का अमानवीय तंज, अस्थाई कर्मचारियों का फूटा ग़ुस्सा


बरेली।
शिक्षा का असली मकसद क्या है—एक अच्छा इंसान बनना या सिर्फ़ ऊंची कुर्सियों पर बैठना? बरेली कॉलेज के अस्थायी कर्मचारियों को उनकी समस्याओं के बदले तिरस्कार और कटाक्ष ही मिले। जब वे अपनी मांगों को लेकर प्राचार्य ओपी राय के पास पहुंचे, तो उन्हें हमदर्दी देने के बजाय अपमानित कर दिया गया। प्राचार्य ने कहा—"तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हें पढ़ा-लिखाकर कलेक्टर क्यों नहीं बनाया?" क्या मतलब यह निकाला जाए कि अगर कोई कलेक्टर नहीं बन पाया तो उसे सम्मान से जीने का हक़ भी नहीं?

तीन साल से इंतजार, फिर भी अपमान

बरेली कॉलेज के अस्थाई कर्मचारी पिछले कई सालों से विनियमितिकरण और उचित वेतन की लड़ाई लड़ रहे हैं। 10,000 रुपये में परिवार पालने की जद्दोजहद के बीच वे कभी मंत्रियों के दरवाजे खटखटाते हैं, तो कभी विधायकों के पास फरियाद लगाते हैं। लेकिन नीतियों के मकड़जाल में फंसी उनकी तक़दीर अब तक नहीं बदली।

आज जब कर्मचारी अपनी समस्या लेकर प्राचार्य के पास पहुंचे, तो कर्मचारी दोदराम का दर्द छलक पड़ा। उन्होंने बस इतना कहा—"साहब, आपको बैठे तीन साल हो गए, लेकिन कुछ नहीं हुआ।" लेकिन यह बात प्राचार्य को इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने अपशब्दों की झड़ी लगा दी और कर्मचारी को कॉलेज से निकालने तक के आदेश दे डाले।

क्या मेहनतकश कर्मचारियों का कोई सम्मान नहीं?

कर्मचारी कल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष जितेंद्र मिश्रा ने इस बयान को कर्मचारियों के संघर्ष का अपमान बताया। सचिन सुनील कुमार राठौर का कहना है कि अगर कर्मचारियों की आवाज़ दबाने की कोशिश हुई, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।

प्रशासन की संवेदनहीनता पर सवाल

सोचने वाली बात यह है कि जिन लोगों ने अपने जीवन के सुनहरे दिन इस कॉलेज को दिए, उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों? क्या कलेक्टर न बन पाने वाले लोग इंसान कहलाने लायक नहीं? अगर प्रशासन ही अपनी ज़िम्मेदारियों से मुंह मोड़कर कर्मचारियों को तिरस्कार देगा, तो फिर इंसाफ़ की उम्मीद कहां की जाए?

अब सवाल यह है कि इस बयान के बाद प्राचार्य को जवाबदेह बनाया जाएगा या फिर यह भी उन्हीं फाइलों में दबकर रह जाएगा, जिनमें वर्षों से कर्मचारियों के हक़ की लड़ाई सिसक रही है?

मांगों को लेकर वार्ता करने गए कर्मचारी को प्राचार्य ने हड़काया, कर्मचारियों में रोष व्याप्त

आज बरेली कॉलेज बरेली में सफाई एवं बागवानी के लिए निजी एजेंसी के तहत कर्मचारी रखे जाने को लेकर टेंडर पड़ने थे, जिस पर अस्थाई कर्मचारी, कर्मचारी कल्याण सेवा समिति बरेली कॉलेज बरेली के अध्यक्ष जितेंद्र मिश्रा और सचिव सुनील कुमार के नेतृत्व में प्राचार्य प्रो. ओ. पी. राय से मिलने गए और पूछा कि टेंडर क्यों हो रहे हैं। इस पर प्राचार्य ने गोलमोल जवाब दिया। कर्मचारी नेताओं से बातचीत के दौरान एक कर्मचारी की जुबान फिसलने से "आप" की जगह "तुम" शब्द निकलने पर प्राचार्य आगबबूला हो गए और कर्मचारी पर बरस पड़े। उन्होंने आदेश दिया—"लेटर बनाओ इसका," और तुरंत उसे कक्ष से निकाल दिया। अन्य पदाधिकारियों को भी बाहर जाने के लिए कह दिया।

इस घटना से अस्थाई कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो गया। अध्यक्ष जितेंद्र मिश्रा ने कहा कि बरेली कॉलेज बरेली में अस्थाई कर्मचारियों की परेशानी हल नहीं होती, बल्कि उन्हें और अधिक परेशान किया जाता है। प्राचार्य का इस तरह उत्तेजित होना और कर्मचारियों को अपमानित करना बेहद निंदनीय है। सचिव सुनील कुमार ने कहा कि कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण आखिर कौन करेगा?

इस बैठक में प्राचार्य से मिलने वालों में रामपाल, गंगा प्रसाद, टीकाराम, पूरनलाल मसीह, रमेश, वीर सिंह आदि कर्मचारी मौजूद रहे। कर्मचारी नेताओं ने आगे की रणनीति तय करने के लिए बैठक करने की बात कही है।

कर्मचारी की बिगड़ी हालत, अस्पताल में भर्ती

प्राचार्य के अपमानजनक व्यवहार और तनावपूर्ण माहौल के बाद कर्मचारी दोदराम की हालत बिगड़ गई। अत्यधिक मानसिक दबाव के कारण उन्हें चक्कर आ गए और उनकी तबीयत खराब हो गई। साथी कर्मचारियों ने तुरंत उन्हें जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका इलाज जारी है।

कर्मचारी नेताओं का कहना है कि प्रशासन के इस असंवेदनशील रवैये से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अगर जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

Tags

Newsletter Signup

Sed ut perspiciatis unde omnis iste natus error sit voluptatem accusantium doloremque.

एक टिप्पणी भेजें