कागज़ों में सिमटा सरकारी आदेश! नए सत्र में भी किताबों के लिए तरसे छात्र
बरेली। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शैक्षिक सत्र 2025-26 की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन हर साल की तरह इस बार भी छात्र-छात्राओं को नई कक्षा की पाठ्य पुस्तकें समय पर नहीं मिल सकीं। सरकारी आदेशों के बावजूद किताबों का वितरण अधर में लटका हुआ है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
छप गई किताबें, लेकिन स्कूलों तक नहीं पहुंचीं
बेसिक शिक्षा विभाग ने पहले ही आदेश जारी किए थे कि सत्र शुरू होते ही सभी छात्रों को किताबें उपलब्ध करा दी जाएं। इसके लिए महानिदेशक स्कूली शिक्षा कंचन वर्मा के निर्देश पर सत्र 2024-25 में ही किताबों की छपाई पूरी करवा दी गई थी।
लेकिन हकीकत यह है कि किताबें जिले के गोदामों में धूल खा रही हैं, जबकि छात्र-छात्राएं खाली हाथ बैठने को मजबूर हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण छात्रों को पहली बार नहीं, बल्कि हर साल इस परेशानी से जूझना पड़ता है।
स्कूलों में मायूसी, शिक्षक परेशान
स्कूल खुलते ही बच्चों में नए सत्र को लेकर उत्साह था, लेकिन जब उन्हें पता चला कि किताबें अभी तक नहीं आई हैं, तो उनके चेहरे पर मायूसी छा गई। शिक्षकों के लिए भी बिना किताबों के पढ़ाई कराना एक चुनौती बन गया है।
एक शिक्षक ने कहा, "हम इंतजार नहीं कर सकते, बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है। इसलिए हमने पुराने छात्रों से किताबें इकट्ठा कर नए छात्रों को देनी शुरू कर दी हैं। जब तक विभाग किताबें भेजेगा, तब तक हम इन्हीं से पढ़ाएंगे।"
सरकारी आदेश हवा-हवाई! कब सुधरेगा सिस्टम?
हर साल सरकार फ्री किताबें बांटने के दावे करती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यही है कि किताबें समय पर छात्रों तक नहीं पहुंच पातीं। सवाल यह उठता है कि क्या शिक्षा विभाग केवल कागज़ी आदेश जारी करने तक ही सीमित रह गया है?
छात्र, अभिभावक और शिक्षक सभी इस अव्यवस्था से परेशान हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस लापरवाही पर कोई ठोस कदम उठाएगा या फिर छात्र हर साल इसी तरह किताबों के लिए तरसते रहेंगे।
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