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सात लाख की ठगी के मामले में बैंक मित्र को तीन साल की सजा

सात लाख की ठगी के मामले में बैंक मित्र को तीन साल की सजा


बरेली।
अलीगंज थाना क्षेत्र के गैनी गांव निवासी चैतन्य बाबू सक्सेना, जो पंजाब नेशनल बैंक की गैनी शाखा में बैंक मित्र के रूप में कार्यरत थे, को सात लाख रुपये की ठगी के मामले में दोषी करार देते हुए न्यायालय ने तीन साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने उन पर ₹10,000 का अर्थदंड भी लगाया है।

ऐसे किया ग्राहकों से धोखा

बैंक मित्र चैतन्य बाबू सक्सेना ने बैंक में जमा करने के लिए ग्राहकों से ₹7,06,000 रुपये लिए, लेकिन उन्हें बैंक में जमा करने के बजाय खुद रख लिया। ग्राहकों को विश्वास में लेने के लिए उन्होंने फर्जी रसीदें जारी कर दीं। जब ग्राहक अपने पैसे निकालने पहुंचे, तो उनके खातों में रकम न होने की बात सामने आई और ठगी का खुलासा हुआ।

पांच साल चली कानूनी लड़ाई

मामले की शिकायत के बाद संतोष फिनलीज कंपनी की ओर से पांच साल पहले मुकदमा दर्ज कराया गया था। अभियोजन अधिकारी रवि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि इस मामले में 17 पीड़ित ग्राहकों की गवाही और अन्य ठोस साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी साबित किया गया।

अदालत का फैसला

न्यायिक मजिस्ट्रेट विदिशा भूषण की अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई और ₹10,000 का जुर्माना लगाया। पांच वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पीड़ित ग्राहकों को न्याय मिला।

बैंकिंग फ्रॉड से सतर्क रहने की सलाह

यह मामला बैंकिंग धोखाधड़ी का एक गंभीर उदाहरण है, जिससे ग्राहकों को सतर्क रहने की जरूरत है। बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करते समय हमेशा अधिकृत शाखा से रसीद लें और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की पुष्टि करें ताकि किसी भी तरह की ठगी से बचा जा सके।


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