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आईवीआरआई में जीनोम संपादन पर 10 दिवसीय प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न

आईवीआरआई में जीनोम संपादन पर 10 दिवसीय प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न


बरेली।
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर में "टीकों और निदान के विकास के लिए जीनोम संपादन प्रौद्योगिकियों का परिचय" विषय पर आयोजित 10 दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को अत्याधुनिक जीनोम संपादन तकनीकों से परिचित कराना और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों में दक्ष बनाना था।

वैज्ञानिक नवाचार की ओर एक और कदम

संस्थान के संयुक्त निदेशक (शोध) डॉ. एस. के. सिंह ने समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। अपने संबोधन में उन्होंने जीनोम संपादन को वैज्ञानिक क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाली तकनीक बताते हुए कहा कि यह विधि टीका निर्माण, रोग निदान और जैव चिकित्सा अनुसंधान में नई संभावनाएं खोल सकती है। उन्होंने वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों की महत्ता पर प्रकाश डाला।

अभ्यास और नवाचार का अनूठा संगम

इस प्रशिक्षण में देशभर के सात राज्यों से आए 15 शोधकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षुओं को आणविक जीव विज्ञान, जैव सूचना विज्ञान उपकरणों और जीनोम संपादन तकनीकों पर गहन प्रशिक्षण दिया गया। प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. पी. के. गुप्ता ने वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान में जीनोम संपादन की भूमिका पर विशेष व्याख्यान दिया।

प्रशिक्षण पुस्तिका का विमोचन

कार्यक्रम के अंतर्गत "टीकों और निदान के विकास के लिए जीनोम संपादन में अवधारणाएं और तकनीक" शीर्षक से एक विशेष प्रशिक्षण पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। इस पुस्तिका में संकाय सदस्यों द्वारा दिए गए व्याख्यान और व्यावहारिक सत्रों की विस्तृत जानकारी संकलित की गई है, जो शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित होगी।

प्रतिभागियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया

समापन समारोह के दौरान, प्रशिक्षुओं ने अपने अनुभव साझा किए और संस्थान को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए आभार व्यक्त किया। प्रतिभागियों ने अधिक व्यावहारिक सत्रों और नवीनतम प्रयोगशाला तकनीकों के समावेश की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे जीनोम संपादन के अनुप्रयोगों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

संस्थान की भविष्य की योजना

कार्यक्रम के सफल समापन पर डॉ. बबलू कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया, जबकि संचालन डॉ. सोनालिका महाजन ने किया। इस अवसर पर संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सुजॉय धारा, डॉ. चंद्रकांत जाना, डॉ. दीपक, डॉ. प्रसाद थॉमस और डॉ. अभिषेक भी उपस्थित रहे।

संस्थान ने घोषणा की कि वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भविष्य में भी इसी तरह के उन्नत प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस पहल से देश के वैज्ञानिक समुदाय को अत्याधुनिक अनुसंधान विधियों से लैस करने में मदद मिलेगी।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वैज्ञानिक ज्ञान, नवाचार और व्यावहारिक दक्षता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ। इससे न केवल पशु चिकित्सा और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए आयाम खुलेंगे, बल्कि अनुसंधानकर्ताओं को आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों और तकनीकों से परिचित होने का भी अवसर मिला।

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