Bareilly News: पतंग उड़ाने के दौरान हाईटेंशन लाइन से छुआ चाइनीज मांझा, 9 साल का बच्चा झुलसा
- राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के महामंत्री विनोद कुमार भी आए चाइनीज मांझे की चपेट में, मांझे की रगड़ से गर्दन और उंगली पर जख्म के निशान
बरेली। चाइनीज मांझा कितना खतरनाक हो सकता है, ये तो कोई जीतू से पूछे। जी हाँ जीतू उस सचिन के पिता का नाम है जो अपने 9 साल के बेटे सचिन की हालत को लेकर अस्पताल में मायूस खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल ये घटना संजय नगर के चार खंभा इलाके की है। जहां पर एक बालक जिसका नाम सचिन बताया जा रहा है जो नौ वर्ष का है वह अपने घर की छत पर शनिवार सुबह पतंग उड़ा रहा था तभी अचानक पतंग का मांझा बिजली के तारों को छू गया। जिस कारण बिजली का करंट पतंग के मांझे से होते हुए सचिन तक पहुंच गया, जिससे सचिन बुरी तरीके से झुलस गया। परिवार वालों को जब सचिन की आवाज सुनाई दी तो दौड़कर छत पर गए तब तक सचिन झुलस कर छत पर ही गिर चुका था। परिवार वालों ने सचिन को आनन-फ़ानन में अस्पताल में भर्ती कराया। जहां उसकी हालत चिंताजनक बताई जा रही है। चाइनीज मांझे के कारण जिले में अक्सर दुर्घटनाएं सामने आती ही रहती हैं लेकिन बावजूद इसके जिला प्रशासन इस चाइनीज मांझे के कारोबार को बंद करने में नाकाम ही साबित हो रहा है। जिला प्रशासन द्वारा इस कारोबार पर कोई भी लगाम नहीं लगाई जा पा रही है। जिस कारण चाइनीज मांझे के कारोबारी अवैध रूप से इस धंधें को जिले में खुलेआम कर रहे हैं। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
शनिवार को चाइनीज मांझे के कारण राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के महामंत्री विनोद कुमार की गर्दन कटने से बच गई, वह स्कूटी से अपने घर जा रहे थे तभी रास्ते में पुल पर चाइनीज मांझा हवा में तैरता हुआ उनकी गर्दन पर जाकर लगा ही था कि उन्होंने तत्काल उसे अपनी उंगली से रोकने का प्रयास किया और गाड़ी तत्काल किनारे लगाकर जल्दी से मांझे को हटाया, इतनी देर में उनकी उंगली भी मांझे की धार के कारण घायल हो गई। फिलहाल विनोद कुमार तो इस मांझे की चपेट में आते आते बच गए लेकिन इस तरीके की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। इस पर विनोद कुमार का कहना है कि जल्द ही वह प्रशासन से इस अवैध कारोबार को बंद कराने की गुजारिश करेंगे।
कैसा से होता है ये चाइनीज मांझा, और क्यों कहा जाता इसे किलर मांझा
बरेली में ये मेटल कोटेड मांझे के निर्माण का कार्य और इस्तेमाल 15 अगस्त के आस पास कुछ ज्यादा ही जोर पकड़ लेता है। लिहाजा एक बार ये कोटेड मांझा किसी की गर्दन तक पहुंच गया तो उसकी जान पर बन आती है। इसी मेटल कोटेड मांझे को चाइनीज मांझा कहते हैं। पूरे भारत में इस चाइनीज मांझे का कारोबार बरेली से सर्वाधिक होता है। इसे किलर मांझा भी लोग कहते हैं क्योंकि एक बार ये किसी के गर्दन या पक्षी के पंखों पर लग जाये तो उन्हे काट देता है। इस चाइनीज मांझे में 5 तरह के केमिकल और कई धातुओं का प्रयोग होता है। चाइनीज मांझे को नायलॉन के धागे में मैटेलिक पाउडर मिलाकर बनाया जाता है। नायलॉन के धागे पर कांच और लोहे को पीस कर नायलॉन के धागे पर पॉलिश (धार) लगाई जाती है। इस लिए ये विद्युत का सुचालक भी बन जाता है।
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