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कलेक्‍टर द्वारा जिले में बाल विवाह रोकने के लिये जिला स्‍तरीय कन्‍ट्रोल रूम स्‍थापित बाल विवाह कराने पर की जायेगी दण्डनीय कार्यवाही

कलेक्‍टर द्वारा जिले में बाल विवाह रोकने के लिये जिला स्‍तरीय कन्‍ट्रोल रूम स्‍थापित बाल विवाह कराने पर की जायेगी दण्डनीय कार्यवाही

जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास श्री आर बी गोयल द्वारा दी गयी जानकारी अनुसार कलेक्‍टर डॉ. सतेन्‍द्र सिंह द्वारा जिले में बाल विवाह रोकने के लिये समस्‍त अनुविभागीय अधिकारी गुना, समस्‍त मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गुना, समस्‍त परियोजना अधिकारी (बाल विवाह प्रतिशेध अधिकारी) एकीकृत बाल विकास परियोजना जिला गुना को दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं । 

ज्ञात है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु की बालिका एवं 21 वर्ष से कम आयु के बालक का विवाह बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह कराने पर बालकों के अभिभावक एवं बाल विवाह में शामिल रिश्तेदार तथा सेवा प्रदाता के विरूद्ध कार्यवाही की जा सकती है। उक्त अधिनियम के अंतर्गत 2 वर्ष की सजा एवं 1 लाख रूपये दण्ड का प्रावधान है।

जारी आदेशनुसार दिनांक 10 मई 2024 अक्षय तृतीया एवं अन्‍य विवा‍ह मुहूर्तों पर सामुहिक विवाह सम्‍पन्‍न होते हैं, अक्षय तृतीया के अवसर पर होने वाले विवाहों पर निगरानी रखी जायेगी तथा ग्राम स्तर पर सूचना तंत्र विकसित किये जायेगें। गुना जिले में कोई भी बाल विवाह सम्पन्न न हो, बाल विवाह रोकवाने हेतु पुलिस की भी आवश्यक मदद ली जायेगी, यदि कोई भी व्यक्ति बाल विवाह रोकने में व्यवधान उत्पन्न करता है तो उसके विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जायेगी ।

  बाल विवाह की सूचना कन्ट्रोल रूम गुना के दूरभाष नम्बर 07542-292288 पर, सूचनादाता बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को, तथा नजदीकी थाने, डायल 100,  चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 पर भी सूचना दी जा सकती हैं ।

वही jageswarnews चैनल गुना जिला प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे बाल विवाह रोकने हेतु कदम पर सरकार की सराहना करता है और एक कदम और, गुना जिला ही नहीं पूरे प्रदेश और पूरे भारत में उठाना चाहिए जो स्वास्थ्य को लेकर है जिस बात को एक गरीब मजदूर किसान अच्छे से समझ सकता है भोपाल इंदौर ग्वालियर को छोड़कर अधिकतर सरकारी हॉस्पिटलों में से आए दिन मैरिज रेफर किया जा रहे हैं गरीब मजदूर महीनों तक जब अपने घर छोड़कर बाहर रहता है तो खाने-पीने खर्चा बहुत बनता है इसलिए सरकार को चाहिए कम से कम जो पुराने जिले हैं 50-50 वर्ष उन में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं अच्छी होनी चाहिए वहीं प्राइवेट में कोई गरीब मजदूर किसान अपने घर परिवार के सदस्य को लेकर जाता है तो,5,6, फीस के लगाकर हजारों का बिल बन जाता है जाना मजबूरी में पड़ता है क्योंकि सरकारी गुना हॉस्पिटल में छोटे-मोटे इलाज ही होते हैं उसमें भी इकसारे और जांच बाहर की लिख दी जाती है यह किसी से छुपा नहीं है प्राइवेट डॉक्टरों की फीस की बात की जाए तो करीब 500 ₹600 2 मिनट हाथ पकड़ने की लगती है पहले यह फीस एक महीने में लगती थी धीरे-धीरे उसे घटकर आज 10 दिन पर आ गई है वही सरकारी हॉस्पिटलों में नौकरी करने वाले डॉक्टर भी प्राइवेट हॉस्पिटल खोल कर बैठे हैं जो कुछ समय के लिए ही सरकारी अस्पताल पहुंचते हैं


और नरसों और कंपटरों के भरोसे मरीज को छोड़ देते हैं जिस पर सरकार के द्वारा धन ध्यान नहीं दिया जाता जिससे होता यह है कि जब किसी परिवार पर बीमारी की गाज गिरती है तो उसे पर हजारों रुपए कर्जा हो जाता है महंगाई के दौड़ में मजदूरी में वह  कर्ज  नहीं दे पाता,है तो मजबूरी बस अपने नाबालिक बालक को कहीं होटल पर तो कहीं कपड़े की दुकान पर लगाना पड़ता है जिससे कम आयु में ही पढ़ाई लिखाई छूट जाती है आज गुना में ही नहीं पूरे भारत में हजारों नाबालिक बच्चे मजबूरी, में मजदूरी कर रहे हैं शासन को चाहिए प्राइवेट डॉक्टरों की मनचाही फीस पर लगाम लगानी चाहिए जब जाकर पूर्ण रूप से बाल विवाह तथा बाल मजदूरी पर काबू पाया जा सकता है

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