Bareilly News: पाकिस्तान से आई बहू ने 37 साल बाद पहली बार किया मतदान
बरेली। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में मंगलवार को बरेली में मतदान संपन्न हुआ। 57 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। लोकतंत्र के महापर्व में पाकिस्तान की महिला ने भी हिस्सा लिया। अक्तूबर 1987 में पाकिस्तान से भारत आईं उजमा मुख्तार यहीं की होकर रह गईं। उन्होंने मंगलवार को मतदान किया। 19 मई 1995 को उन्होंने मोहल्ला घेर जाफर खां निवासी जावेद अख्तर से शादी की थी। इसके बाद नागरिकता के लिए भागदौड़ शुरू हुई जो वर्ष 2017 में खत्म हुई। 37 साल बाद इस बार के आम चुनाव में पहली बार उन्होंने मतदान किया है। उन्होंने बताया कि जो देश को तरक्की के रास्ते पर लेकर जाएगा, मैंने उसी को वोट दिया है।
बातचीत में उजमा का दर्द भी छलका। उन्होंने कहा कि नागरिकता मिलने के बाद अब यही मेरा मुल्क है। विदेश से आने वाली बहुओं के लिए सरकार को ऐसी योजना बनानी चाहिए, जिससे उनको भागदौड़ न करनी पड़े। उनको आसानी से नागरिकता दिए जाने के प्रावधान होने चाहिए। हक पाने की इस भागदौड़ में उजमा की आधे से ज्यादा जिंदगी गुजर गई। उनकी तीन बेटियों की शादी भी हो चुकी है। बेटा दाराब अख्तर सीए की ट्रेनिंग ले रहा है। इन चारों बच्चों को जन्म से ही भारत की नागरिकता मिल चुकी है। यहां की मतदाता सूची में उनका नाम भी है और वे मतदान भी करते रहे हैं। उजमा को इस साल पहली बार वोट डालने का अवसर मिला है।
उजमा ने बताया कि उनकी तीन और बहनें भी पाकिस्तान से भारत की बहू बनकर आई हैं। इसमें राना मुख्तार को वर्ष 2018 में नागरिकता मिली थी। वहीं, सबसे छोटी बहन समीना मुख्तार को भी कई साल पहले नागरिकता मिल चुकी है। एक बहन शायदा को अभी तक नागरिकता नहीं मिली है। उन्होंने इसके लिए आवेदन किया हुआ है। उजमा ने बताया कि वह जावेद के साथ शादी होने से छह साल पहले ही भारत आ गई थीं। तब से ही वह नागरिकता के भागदौड़ कर रहीं थीं। शौहर जावेद के प्रयास से आखिरकार वह भारत की नागरिक बनने में सफल हुईं।

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